सीएसआईआर ने कोरोना को महामारी घोषित से पहले शुरू कर दिया था चिन्तन: डा.मांडे

सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल ने किया एनएमएल का दौरा

जमशेदपुर, 19 जनवरी (रिपोर्टर): काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल व केन्द्र सरकार के साइंटिफिक व इंडस्ट्रीयल रिसर्च विभाग के सचिव डा. शेखर सी मांडे ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की कोरोना को महामारी घोषित करने से पहले ही सीएसआईआर ने चिंतन शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि सर्विलांस हो या डायग्रोस्टिक या ड्राग्स का क्षेत्र हर क्षेत्र में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सीएसआईआर ने प्रत्येक क्षेत्र में काम किया है उसमें कामयाबी भी मिली है. उन्होंने कहा कि सीएसआईआर पांच दिनों में सौ अस्पताल बना सकता है. हिमाचल प्रदेश में अस्पताल की कमी है जिसे देखते हुए छ: अस्पताल बनाया है. कोरोना के दौरान नई दिल्ली में 200 वेंटिलेटर बनाया है.
बुधवार को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल व केन्द्र सरकार के साइंटिपिुक व इंडस्ट्रीयल रिसर्च विभाग के सचिव डा. शेखर सी मांडे सीएसआईआर एलएमल का दौरा करने जमशेदपुर पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देशभर में करीब 37 सीएसआईआर के लेबोरेटरी हैं. पिछले वर्ष 25 व 26 फरवरी को गोवा में सभी डायरेक्टर की बैठक हुई थी जिसमें कोरोना को लेकर मंथन शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को देश में कोरोना का पहला केस मिला था. डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना को महामारी घोषित किया था लेकिन सीएसआईआर ने उससे पहले ही कोरोना को लेकर काम करना शुरू कर दिया था. इसके लिए रिसर्च, डायग्रोस्टिक व ड्रग्स के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था. नए इनोवेशन भी किया गया. उन्होंने कहा कि सीएसआईआर 37 प्रयोगशालाओं व विशेषज्ञता के माध्यम से, एयरोस्पेस बनाने से लेकर जीनोमिक्स रसायन तक विभिन्न क्षेत्रों में जल्द से जल्द कोरोना से बचाव के लिए विकसित करने की कार्रवाई में जुटा है. प्रभावी योजना और रणनीति के लिए सीएसआईआर ने तेजी से रोग निगरानी सहित पांच कोविड-19 वर्टिकल ड्रग्स व टीके, परीक्षण और निदान, पीपीई और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन स्थापित किए हैं.उन्होंने कहा कि एससी मांडे ने कहा कि कोरोना पर कई रिसर्च सीएसआइआर द्वारा किया गया है. जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग के दम पर सीएसआइआर अब बता पा रही है कि कोरोना की कितनी प्रजातियां है. इसके माध्यम से ही इम्यूनिटी वैक्सीन बनाने में सीएसआइआर की अहम भूमिका रही थी. उन्होंने दावा किया कि आज सीएसआइआर आपात हालत में मात्र पांच दिनों में सारी सुविधाओं से लैस अस्पतालों को खड़ा कर सकता है. उन्होंने बताया कि कोरोना को लेकर दस हजार लोगों का सैंपल सर्वे किया गया था. इसमें दस फीसदी लोगों में एंटी बॉडी पायी गयी थी. उन्होंने बताया कि आइसीएमआर के गाइडलाइन के मुताबिक, सीएसआइआर ने कोरोना का इलाज किया है. यह कामयाब भी हुई. इनोवेशन को टाटा संस ने प्रायोजित किया था. इसे फेलुदा डायग्नोसिस का नाम दिया गया. यह पेपर बेस्ड टेस्ट है, जो एक घंटे के अंदर कोरोना की रिपोर्ट दे देता है. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, सीएसआईआर जिसे विभिन्न एसएंडटी क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान व विकास नॉलेजबेस के लिए जाना जाता है, एक समकालीन अनुसंधान एवं विकास संगठन है. उन्होंने कहा कि सीएसआईआर दुनिया भर में 4851 संस्थानों में 84वें स्थान पर है और शीर्ष 100 वैश्विक संस्थानों में एकमात्र भारतीय संगठन है, जो कि स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंङ्क्षकग वल्र्ड रिपोर्ट 2014 के अनुसार है. सीएसआईआर एशिया में 17वीं रैंक रखता है और देश में पहले स्थान पर है. सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला एनएमएल, जमशेदपुर, झारखंड में 1950 में स्थापित, खनिज, धातु, सामग्री और धातुकर्म के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी विकास को करने वाली घटक प्रयोगशालाओं में से एक है. डॉ एससी मांडे ने एक आणविक जीव वैज्ञानिक होने के नाते प्रोटीन संरचना और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान पर अपना शोध किया है. वाङ्क्षशगटन, सिएटल, यूएसए में प्रवेश लिया. उन्होंने एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में भारत की प्रतिष्ठित अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ काम किया और अक्टूबर 2018 में सीएसआईआर और डीएसआईआर. में शामिल हुए. उन्होंने खुले सत्र में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के सभी क्षेत्रों में शोध और अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु अनवरत नयी ऊर्जा के साथ कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि टीम-भावना के साथ वैज्ञानिक शोध को मानवता की अधिक से अधिक सेवा के लिए कैसे जनोपयोगी बनाया जा सकता है, इस पर गहन ङ्क्षचतन-मनन लगातार करते रहें और इस दिशा में पूरे मनोयोग के साथ आगे बढ़ें. डॉ मांडे, के साथ डॉ विभा मल्होत्रा साहनी, प्रमुख, इनोवेशन प्रोटेक्शन यूनिट (आईपीयू), सीएसआईआरऔर डॉ (श्रीमती) शर्मिला मांडे भी उपस्थित थीं, जो मुख्य वैज्ञानिक हैं और बायो-साइंसेज आरएंडडी, टीसीएसरिसर्च, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंडिया की प्रमुख हैं. डॉ (श्रीमती) शर्मिला मांडे ने सीएसआईआर-एनएमएल की महिला वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की.

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