इंडियन क्रिमिनल लॉ में अब होंगे क्या कुछ बड़े बदलाव, दंड संहिता अब न्याय संहिता, एविडेंस एक्ट हुआ साक्ष्य अधिनियम, गुलामी की कौन-कौन सी निशानियां मिटा रही मोदी सरकार

मॉब लिंचिंग के लिए दोषी पाए जाने पर मौत की सजा तक का प्रावधान, जानिए
गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (11 अगस्त) को लोकसभा में तीन बिल पेश किए. ये बिल पेश करते हुए सदन में उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानून अब बदले जाएंगे. इनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं. इसके अलावा मॉब लिंचिंग के लिए अब नया कानून बनाया जाएगा. केंद्र मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान भी करेगा. साथ ही राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा.
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि IPC 1860, CRPC 1898 और EVIDENCE ACT 1873 अंग्रेजों के जमाने के कानून थे. 2019 में ही इसको लेकर आमूलचूल परिवर्तन पर विचार शुरू हो गया था. क़रीब चार साल के मंथन के बाद ये प्रस्ताव पेश किया गया है. इसके तहत राजद्रोह के कानून को ‘भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य’ के रूप में रखा गया है. इसमें न्यूनतम सजा 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है. वहीं आतंकवाद के खिलाफ नए प्रस्ताव में मौत की सजा है.
अमित शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, इनमें इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और इंडियन एविडेंस कोड है. इसके साथ ही नाबालिग से रेप पर भी मौत की सजा का प्रावधान रखा गया है. नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में सजा को प्राथमिकता दी गई है. वहीं, साल 2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज करेंगे. किसी को भी गिरफ्तार करने पर उसके परिवार वालों को सबसे पहसे जानकारी दी जाएगी.
अब इंडियन क्रिमिनल लॉ में होंगे बड़े बदलाव
मोदी सरकार की तरफ से इंडियन क्रिमिनल लॉ में कई बड़े बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. इससे देश को गुलामी की सभी पुरानी निशानियों से छुटकारा मिलेगा. नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी, जबकि पहले इसमें कुल 511 धाराएं होती थी.
7 साल से ज्यादा की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक टीम की तरफ से सबूत जुटाए जाएंगे.
देश छोडक़र भागने वाले अपराधियों की अनुपस्थिति में कानूनी प्रक्रिया में पूरी तरह दोषी करार देने का प्रावधान.
अब कोर्ट को सुनवाई पूरी होने के 30 दिन बाद किसी भी सूरत में फैसला सुनाना होगा.
तलाशी-जब्ती को लेकर अब वीडियो बनाना अनिवार्य होगा.
गुनाह किसी भी इलाके में हुआ हो, लेकिन एफआईआर देश के किसी भी हिस्से में दर्ज की जा सकेगी.
90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
लव जिहाद पर कार्रवाई के लिए पहचान बदलकर यौन शोषण करने वाले को सजा का प्रावधान होगा.
नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार की सूरत में मृत्यु दंड का प्रावधान होगा.
बच्चों और महिलाओं साथ अपराध के मामले में 10 वर्ष तक की सजा
भारतीय साक्ष्य कानून 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लेगा.

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