PM MODI ने कोवैक्सिन के दोनों डोज लगवाए थे
NEW DELDI 13 SEPT
देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर धीरे-धीरे कम हो रही है। लेकिन तीसरी लहर की आशंका के बीच सतर्कता बरती जा रही है। इन सबके बीच भारत के लिए अच्छी खबर है। भारत में निर्मित भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को इस सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन की इजाजत मिल सकती है। यह खबर न्यूज़ एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई है। एएनआई ने अपने ट्वीट में बताया कि भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को इस हफ्ते WHO की इजाजत मिल सकती है।
आपको बता दें कि भारत में फिलहाल तीन कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहला है भारत बायोटेक कि कोवैक्सीन, दूसरा सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और तीसरी रूस की स्पुतनिक V। इससे पहले डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने जुलाई में बताया था कि तकनीकी विशेषज्ञ समिति डोजियर की समीक्षा कर रही है।
कोवैक्सिन बनाने में मदद ICMR का दावा है कि यह वैक्सीन सभी तरह के वैरिएंट्स पर कारगर है। यानी न केवल UK, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट्स पर बल्कि भारत के 10 से अधिक राज्यों में सामने आए डबल म्यूटेंट वैरिएंट पर भी यह असरदार साबित हुई है।
WHO के इमरजेंसी यूज अप्रूवल की क्या अहमियत है?
WHO की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में महामारी जैसी पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में हेल्थ प्रोडक्ट की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस को जांचा जाता है। WHO ने फाइजर की वैक्सीन को 31 दिसंबर 2020 को, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को 15 फरवरी 2021 को और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 12 मार्च को इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया था।
WHO के मुताबिक इमरजेंसी स्थिति को देखते हुए जल्द से जल्द दवा, वैक्सीन और डायग्नोस्टिक टूल्स विकसित करना और अप्रूव करना जरूरी है। वह भी सेफ्टी, एफिकेसी और क्वालिटी के मानकों पर खरा रहते हुए। यह असेसमेंट महामारी के दौरान व्यापक स्तर पर लोगों के लिए इन प्रोडक्ट्स की उपयोगिता सुनिश्चित करता है।