स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शनिवार को स्पष्ट किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को अभी तक कोविड -19 के खिलाफ पूरी तरह से टीकाकरण करने वालों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा की अनुमति देने पर अंतिम निर्णय लेना बाकी है.
अग्रवाल उन समाचार रिपोर्टों को संबोधित कर रहे थे, जो दावा करती हैं कि भारत बायोटेक विकसित कोवैक्सिन के साथ टीकाकरण करने वाले भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) के टीकों की सूची में कोवैक्सिन को शामिल नहीं किया है.
कोवैक्सिन नहीं है WHO की इमर्जेंसी यूज लिस्टिंग में
जिन देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की छूट दी है, उन्होंने अपनी खुद की रेग्युलेटरी अथॉरिटी या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इमर्जेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) की तरफ से स्वीकृत की गई वैक्सीन को ही मंजूरी दी है. इस लिस्ट में मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका, जानसेन (अमेरिका और नीदरलैंड में), सिनोफार्म/BBIP और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनी हुई कोविशील्ड भी इस लिस्ट में है. लेकिन कोवैक्सिन नहीं है.
लव अग्रवाल ने समझाया “अभी तक इस पर WHO के स्तर पर कोई सहमति नहीं है. अभी भी चर्चा की जा रही है कि क्या टीका लगाने वालों को अनुमति दी जाएगी. अब तक, डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों और देशों द्वारा दिशानिर्देशों के अनुसार, नकारात्मक COVID परीक्षण रिपोर्ट वाले लोगों को अनुमति दी जा रही है.”
बच्चों में पाए गए कोविड -19 संक्रमण पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, “कोविड -19 संक्रमण बच्चों में होता है, लेकिन कम मौतें हुई हैं. केवल 3-4 प्रतिशत बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है.”
कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि Covaxin वैक्सीन फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल नहीं है, ऐसे में जिन लोगों ने Covaxin कोरोना वैक्सीन लगवाई है, उन लोगों की विदेश यात्रा पर रोक लग सकती है.