चांडिल : योग की उत्पत्ति भारत में योगाचार्य महर्षि पतंजलि द्वारा किया गया था। योगदर्शन में सूत्रों के रूप में उन्होंने मानव समाज के सामने प्रस्तुत किया। निरोगी काया के लिए मानव जीवन में योगासन का बहुत महत्व है। जिसका पूरा विश्व अवलंबन कर मानव समाज को स्वस्थ रहने का मार्गदर्शन किया जा रहा है। नियमित योग से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। जिसके कारण शरीर में कोई भी रोग जल्दी प्रवेश नहीं कर पाता है। झारखंड के राज्यपाल सम्मानित योग व एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ चांडिल के गांगुडीह कॉलोनी निवासी भरत सिंह ने बताया कि नियमित प्रातः काल सूर्यनमस्कार, आसन, प्राणायाम व ध्यान करने से कोरोना महामारी भी उस व्यक्ति को आक्रमण नहीं कर पायेगा। उन्होंने बताया कि 30 साल के दौरान वे गठिया, बात, मधुमेह, अवसाद, माइग्रेन, (सिरदर्द), स्नायू दुर्बलता, रक्ताल्पता आदि कठिन बीमारियों का रोगप्रतिरोधक क्षमता वृद्धि कर स्थायी रूप से ठीक किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला योगासन करती है तो निश्चित रूप से संतान में अलौकिक शक्ति का विकास होगा।
गर्भावस्था में भी किया जा सकता है योग
आयुर्वेद व योग विज्ञान के अनुसार योगासन गर्भावस्था के समय स्वस्थ रहने की सबसे सरल प्रणाली है। नियमित रूप से योग करने वाली गर्भवती महिलाओं को थकान कम होती है, तनाव दूर होता है और मांसपेशियों में खिंचाव के कारण लचीलापन आता है। गर्भावस्था के समय बेहतर रक्तसंचार, पाचन व Nervous system पर नियंत्रण रहता है। परंतु गर्भावस्था में कुछ भी शुरू करने के पहले महिला विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।