सोनिया बोलीं- यह संगठन के लिए संजीवनी का काम करेगी
राहुल गांधी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का बुधवार को आगाज कर दिया है. साल 2024 के आम चुनावों को देखते हुए कन्याकुमारी
से पार्टी की इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई गई. 3,500 किलोमीटर के इस पैदल मार्च को 150 दिनों में पूरा किया जाएगा और इसका अंतिम पड़ाव कश्मीर होगा. यात्रा को कांग्रेस पार्टी में जान फूंकने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है. सोनिया गांधी भी इसे लेकर खासी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि वो इसमें पूरे दिल से शिरकत करेंगी.
पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी
सोनिया गांधी ने कहा, ”यह गौरवशाली विरासत वाली हमारी महान पार्टी के लिए ऐतिहासिक अवसर है. मुझे उम्मीद कि यह हमारे संगठन के लिए संजीवनी का काम करेगा.” गौरतलब है कि सोनिया गांधी मेडिकल चेकअप के लिए विदेश में हैं. हाल ही में उनकी मां की मौत हुई है.
राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा शुरू करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की और एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में तीन दशक पहले एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमला करके राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी.
राहुल गांधी का बीजेपी पर निशाना
कन्याकुमारी से अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे तमिलनाडु आकर बहुत खुशी होती है. आज़ादी के इतने साल बाद भी सिर्फ कांग्रेस ही नहीं भारत के करोड़ों लोग भारत जोड़ो यात्रा की जरूरत महसूस कर रहे हैं. कुछ लोग झंडे को देखते हैं तो झंडे में तीन रंगों और चक्र को देखते हैं. लेकिन सिर्फ यह इतना ही नहीं है , यह इससे कहीं बढ़कर है. यह झंडा इतनी आसानी से हमें नहीं मिला.
राहुल गांधी ने कहा कि आज बीजेपी की सरकार में हर एक संस्था खतरे में है. वो इस झंडे को अपनी नीजि संपत्ति समझते हैं. मुश्किल यह है कि वो भारतीय लोगों को समझ नहीं पा रहे हैं. उन्होंने ईडी की पूछताछ का जिक्र करते हुए कहा कि वो कितने घंटे इंटोरेगेशन कर लें, एक भी विपक्ष का नेता नहीं डरने वाला है.
राहुल गांधी ने कहा, ”बीजेपी सोचती है कि वो इस देश को धार्मिक, भाषा के आधार पर बांट सकते हैं. जो नहीं हो सकता. यह देश हमेशा यूनाइटेड रहेगा. भारत आज सबसे बुरी आर्थिक क्राइसिस के दौर में है.”
राहुल जनसभा से पहले कन्याकुमारी के ‘गांधी मंडपम’ में एक प्रार्थना सभा में शामिल हुए. इसके बाद उन्हें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राष्ट्र ध्वज सौंपा.