नई दिल्ली। कोरोना वायरस के घटते प्रभाव को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर में बंद पड़े विश्वविद्यालयों और कालेजों को जरूरी सुरक्षा इंतजामों के साथ फिर खोलने के लिए कहा है। हालांकि इन्हें कब से खोलना है, इसका फैसला उन्हें राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की सहमति के आधार पर करने को कहा है। यूजीसी ने फिलहाल इस संबंध में विश्वविद्यालयों और कालेजों को पूरी स्वतंत्रता दी है। साथ ही संस्थानों को खोलने के लिए पूर्व में जारी गाइडलाइन पर अमल सुनिश्चित करने को भी कहा है।
छात्रों को एक सीट छोडक़र बैठाया जाएगा, मास्क जरूरी
यूजीसी ने यह कदम बंद पड़े विश्वविद्यालयों और दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों को खोलने की छात्रों की मांगों को देखते हुए लिया है। हालांकि इसे लेकर यूजीसी पूरी तरह से सतर्क भी है क्योंकि अभी भी महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहां हर दिन हजारों की संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में यूजीसी बिल्कुल भी जल्दबाजी में नहीं है और न ही संस्थानों पर इन्हें खोलने के लिए कोई दवाब ही बनाया है। संस्थानों को अपनी सुविधा और तैयारियों के आधार पर छात्रों को बुलाने से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार दिया है। वहीं, यूजीसी की संस्थानों को खोलने से जुड़ी गाइडलाइन में इस बात पर जोर दिया गया है कि आफलाइन कक्षाएं जब शुरू हों तो छात्रों को एक सीट छोडक़र बैठाया जाएगा। साथ ही मास्क पहनने और बार-बार हाथ साफ करने को अनिवार्य बनाया जाए।
ज्यादातर राज्यों में स्कूल खुल गए
विश्वविद्यालयों और कालेजों को खोलने को लेकर यूजीसी ने यह कदम इसलिए भी उठाया है क्योंकि ज्यादातर राज्यों में स्कूल खुल गए है। हालांकि उनमें अभी सिर्फ नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को बुलाया जा रहा है। बावजूद इसके सभी छात्र अभी स्कूल नहीं आ रहे हैं क्योंकि स्कूल आने को अभी अनिवार्य नहीं किया गया है। साथ ही अभिभावकों की अनुमति भी जरूरी की गई है। मालूम हो कि स्कूलों के साथ ही देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों को भी कोरोना की दस्तक के साथ ही पिछले साल मार्च में बंद कर दिया गया था जो अभी भी बंद हैं।