राज्य के किसानों को समृद्ध बनाना का काम कर रही सरकार-हेमंत सोरेन
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को 14 चावल मिलों का शिलान्यास करने के बाद कहा है कि राज्य सरकार किसानों को समृद्ध बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जितने धान का उत्पादन झारखंड में हो रहा है उस हिसाब से कम से कम 100 और चावल मिलों की आवश्यकता है। फिलहाल 50 से 60 लाख टन धान का उत्पादन हो रहा है लेकिन मिलिंग 15 से 20 लाख टन की ही हो रही है।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर चावल मिलों का शिलान्यास
राज्य में कुल उपज के हिसाब से 25 प्रतिशत धान की ही मिलिंग हो पाती है और शेष के लिए हम दूसरे रा’यों पर अभी भी निर्भर हैं। इस लिहाज से अभी बड़े पैमाने पर धान मिलों की आवश्यकता है। रा’य में पहली बार एक साथ 14 राइस मिल का शिलान्यास हुआ है। रा’य के 70 प्रतिशत लोग ग्रामीण परिवेश के हैं और खेती करके जीवन बसर करते हैं। ऐसे लोगों को समृद्ध करने के लिए हमारा लक्ष्य फूड प्रोसेसिंग प्लांट को अधिक से अधिक संख्या में चालू करने का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जियाडा के माध्यम से कम कीमत में भूखंडों का आवंटन उद्यमियों को किया गया है ताकि रा’य में निवेश बढ़े और रोजगार के अवसर भी। अभी कम से कम 100 और चावल मिलों की आवश्यकता है।
मिलिंग के लिए बाहर नहीं जाना होगा
रा’य में किसानों से धान खरीद में एमएसपी लागू है जिससे उन्हें फसल की उचित कीमत मिल पाती है। अधिक से अधिक चावल मिलों के होने से किसानों और व्यापारियों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रा’य सरकार प्रदेश में पशुपालन और मत्स्य पालन को भी बढ़ावा देना चाह रही है।
झारखंड में दाल और आटा मिलों की भी आवश्यकता
वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चावल मिलों के अलावा झारखंड में आटा मिल की भी बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। यहां के लोगों को जन वितरण प्रणाली के माध्यम से जब गेहूं आवंटित किया जाता है तो उनकी मांग होती है कि हमें गेहूं की जगह आटा उपलब्ध कराया जाए। विभाग इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इतना ही नहीं पलामू और आसपास के क्षेत्रों में दलहन की पैदावार अ‘छी है और इस कारण से उस इलाके में दाल मिल खुलना भी जरूरी है। उन्होंने मुख्य सचिव समेत तमाम वरीय अधिकारियों को इस कार्य की सफलता के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि हमारे किसान और यहां के व्यापारी धान की मिलिंग के लिए बिहार के औरंगाबाद, सासाराम और छत्तीसगढ़ के जशपुर का बड़े पैमाने पर रुख करते थे। चावल मिलों के खुल जाने से झारखंड के किसान और व्यापारियों के साथ-साथ सरकार को भी फायदा होगा।
चार जिलों में 2-2 तो अन्य जिलों में एक चावल मिल का शिलान्यास
सोमवार को रा’य के 11 जिलों में 14 चावल मिलों का शिलान्यास किया गया। गुमला व सिमडेगा के अलावा खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) में 2-2 चावल मिलों का शिलान्यास हुआ तो पलामू, गढ़वा, गोड्डा, लातेहार, धनबाद एवं बोकारो में 1-1 चावल मिल का शिलान्यास किया गया।
राज्य में 154 करोड़ की परियोजनाओं को मिल चुकी है स्वीकृति : सचिव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग सचिव पूजा सिंघल ने कहा कि रा’य में पहले से तैयार फूड एंड फीड पॉलिसी के तहत अब तक 156 करोड़ की 16 परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है और पॉलिसी के तहत बड़े उद्योगों को 5 करोड़ तक की ग्रांट और 7 करोड़ तक इंसेंटिव के अलावा कई प्रकार से और राहत देने का प्रस्ताव है। इन मिलों के खुल जाने से रा’य में चावल मिलिंग की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत खुली 75 इकाइयों में 16 राइस मिल : निदेशक
उद्योग निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह ने शिलान्यास कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि रा’य के कोने-कोने में उद्योगों के प्रसार के लिए उद्योग विभाग समर्पित है। उन्होंने कहा कि रा’य में खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत खुली कुल 75 इकाइयों में 16 राइस मिल हैं। कार्यक्रम के दौरान मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, हिमानी पांडे, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और अन्य कई गणमान्य पदाधिकारी मौजूद थे।
झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, धनबाद, बोकारो और गोड्डा में राइस मिल खोलने की पहल की गई है। राइस मिल खुलने से झारखंड के किसानों को अब पड़ोसी राज्यों की ओर नहीं जाना पड़ेगा। झारखंड में ही धान से चावल तैयार होगा।