विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में हैं प्रशासक, डा. कलाम से मिल चुकी है सराहना
जमशेदपुर, 9 जुलाई (रिपोर्टर) : शहर के युवा इंजीनियर सौम्यदीप ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग और नवीकरणीय ऊर्जा में विशेषज्ञता हासिल करते हुए ‘ऊर्जा भंडारण’ के क्षेत्र में महत्वपूर्ण आविष्कार किया है. वर्तमान में विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के प्रशासक के रूप में अपनी सेवा देनेवाले सौम्यदीप को नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान में गहरी रुचि है. इसके लिये वे वर्ष 2004 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डा. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ‘मौसम नियंत्रण प्रणाली की अवधारणा’ के लिए सराहे गए थे.
सौम्य दीप ने फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण प्रणाली (एफईएसएस) की दक्षता और ऊर्जा भंडारण क्षमता को बढ़ाने की एक नई प्रक्रिया विकसित की है. इस प्रक्रिया का पेटेंट 19 जून, 2024 को कोलकाता में बौद्धिक संपदा भवन में किया गया और 5 जुलाई, 2024 को राष्ट्रीय आधिकारिक पेटेंट कार्यालय पत्रिका में प्रकाशित भी हुआ. पेटेंट का शीर्षक ‘ओवर यूनिटी एफिशिएंसी फ्लायव्हील बनाने की प्रक्रिया’ है. सौम्य अब अपने गणितीय सिद्धांत को व्यावहारिक और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध मशीनों में परिवर्तित करने पर काम कर रहे हैं और इसके लिए प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग की तलाश कर रहे हैं.
क्या है फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण प्रणाली
फ्लायव्हील ऊर्जा भंडारण प्रणाली यांत्रिक बैटरी होती है जो घूर्णनात्मक गतिज ऊर्जा के रूप में ऊर्जा को संग्रहित करती है. ये प्रणालियां नवीकरणीय ऊर्जा के पूर्ण लाभों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण समाधान के रूप में मानी जाती हैं. ये प्रणालियां नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा संग्रहित करती हैं और आवश्यकता पडऩे पर ऊर्जा की आपूर्ति करती है.
हरित ऊर्जा का मार्ग हो सकता है प्रशस्त
सौम्यदीप का दावा है कि उनकी प्रक्रिया फ्लायव्हील की ऊर्जा भंडारण क्षमता और आउटपुट दक्षता को बहुत अधिक बढ़ा सकती है. उन्होंने गणितीय रूप से सिद्ध किया है कि उनकी प्रक्रिया से फ्लायव्हील ‘ओवर यूनिटी एफिशिएंसी’ प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें आउटपुट ऊर्जा इनपुट ऊर्जा से अधिक होती है. उन्होंने कहा कि यह ऊष्मागतिकी के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है, जिसे सौम्य ने गणितीय रूप से सिद्ध किया है. उनका मानना है कि यह आविष्कार हरित ऊर्जा का मार्ग प्रशस्त कर सकता है और मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति साबित हो सकता है.