काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान का राज है। इतिहास के पन्नों में झांके तो सोवियत संघ ने तख्तापलट कर अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट की सरकार बनावायी थी। जिसके बाद अमेरिका, साउदी अरब समेत कई देशों ने मिलकर सोवियत संघ के खिलाफ मोर्चा तैनात करने के लिए तालिबान जैसे ग्रुप को जन्म दिया गया। उत्तरी पाकिस्तान से तालिबान जैसे संगठन की शुरुआत हुई। अमेरिका, साउदी अरब जैसे देशों ने पैसा और हथियार देकर तालिबान को मजबूत किया और सोवियत संघ को वहां से निकलने के लिए मजबूर कर दिया।
इसके बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का राज था लेकिन बाद में अमेरिका ने तालिबान को वहां से उखाड़ फेंका और सरकार का गठन करवाया। हालांकि 15 अगस्त को काबुल में तालिबान की एंट्री के साथ ही अमेरिकी समर्थन सरकार गिर गई और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए लेकिन क्या आप जानते हैं कि अफगानिस्तान में मौजूद खनिज संप्रदा पर बहुत से देशों की नजर है। तालिबान का समर्थन करने वालों मुल्कों में विश्व पर राज करने की चाहत रखने वाला चीन भी शामिल है।
साल 2001 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबानियों को खदेड़ा था तब वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी अलग थी। टेस्ला जैसी कंपनी नहीं थी, आईफोन मौजूद नहीं था और स्टीवन स्पीलबर्ग फिल्म में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देखने को मिलता था। अब तीनों आधुनिक अर्थव्यवस्था में सबसे आगे हैं, जो उच्च तकनीक वाले चिप्स और उच्च क्षमता वाली बैटरी में प्रगति से प्रेरित हैं।
सबसे बड़ा लिथियम भंडार
अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है। लेकिन 2010 में खुलासा हुआ था कि देश में करीब एक लाख करोड़ डॉलर का खनिज भंडार है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में काफी परिवर्तन हो सकता है। अफगानिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार के साथ-साथ लोहे, तांबे और सोने का भंडार भी हैं।
आपको बता दें कि लिथियम से रिचार्जेबल बैटरी बनाई जाती है। जिसका उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वीकल्स में होता है। ऐसे में लिथियम को धरती से बाहर कौन निकालेगा। इसी का खेला चल रहा है।
खरबों डॉलर की दुर्लभ धातु मौजूद
चीन की नजर अब वहां धरती पर मौजूद खरबों डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुओं पर है। सीएनबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान दूतावास के पूर्व राजनयिक अहमद शाह कटवाजई के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद दुर्लभ धातुओं की कीमत 2020 में एक हजार अरब डॉलर से लेकर तीन हजार अरब डॉलर के बीच लगाई गई थी। इन कीमतों धातुओं का इस्तेमाल हाई-टेक मिसाइल की प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों में प्रमुख तौर पर किया जाता है।
सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन दुनिया की 85 प्रतिशत से अधिक दुर्लभ पृथ्वी की धातुओं की आपूर्ति करता है। चीन सुरमा (एंटीमनी) और बराइट जैसी दुर्लभ धातुओं और खनिजों की भी आपूर्ति करता है, जो वैश्विक आपूर्ति के लिए मौजूद लगभग दो-तिहाई हिस्सा है।
चीन वित्तीय सहयोग करने के लिए तैयार
चीन ने संकेत दिया कि वह तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान को वित्तीय सहयोग प्रदान करेगा। तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद काबुल को विभिन्न देशों द्वारा वित्तीय मदद रोके जाने के बीच चीन मदद करना चाहता है। हाल ही में चीन ने कहा था कि वह युद्धग्रस्त देश की मदद करने में ‘सकारात्मक भूमिका’ निभाएगा।