धर्म/आस्था विशेष , गौरवशाली अतीत की आस्था को दर्शाती है चड़क पूजा, भक्ति में है शक्ति, भगवान शिव की है आराधना

चांडिल : धर्म, संस्कृति, आस्था व परंपराओं का भूमि है भारत देश। भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई। विगत पांच सौ सालों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज, परंपराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। भारत के कई धार्मिक प्रणालियों जैसे कि सनातन धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम धर्म जैसे धर्मों का का जनक है। इस मिश्रण से उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परंपराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।

आज भी भारत की संस्कृति विश्व के लिए रहस्यमयी है। यहां के आस्था में इतनी शक्ति है कि पत्थर को भी भगवान बना देता है और संस्कृति ने ही इतिहास का रचना की है। आस्था के बेमिसाल उदाहरण है विक्रम संवत से शुरू होने वाले भगवान शिव की आराधना चड़क पूजा। ”विक्रम संवत” 14 अप्रैल के दिन से दो महीने तक झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में श्रद्धालुओं द्वारा भक्ति से चड़क पूजा का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि सृष्टि का शुभारंभ इसी दिन हुआ। इसलिए सृष्टि के तीन देवताओं में से एक देव भगवान शंकर जी की आराधना से पूरे वर्ष के लिए सनातन धर्म अवलंबन करने वाले हिंदू समाज दिनचर्या शुरू करते हैं।

अलौकिक दृश्य है ”भोक्ता घोरा”

चड़क पूजा में ”भोक्ता घोरा” एक अलौकिक शक्ति है। जिसमें भगवान शिव जी के उपासक को पीठ में लोहे का अंकुश डाला जाता है और उस अंकुश में रस्सी से बड़ा लकड़ी में बांध दिया जाता है। करीब 50 फीट उपर लकड़ी के खंभा में उपासक घूमते हैं। उपासक को आकर्षक रूप से सजाया जाता है। 40 से 45 डिग्री के तापमान में कठिन साधन करना अलौकिक शक्ति का ही प्रमाण है।

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