: भारत एक बड़ी कामयाबी के करीब है।चांद पर पहुंचने की रेस में रूस भारत से पीछे हो गया है. रविवार (20 अगस्त) को उसका मिशन LUNA-25 चांद से टकराकर क्रैश हो गया. 21 अगस्त को यानी चंद्रयान-3 की लैंडिंग से दो दिन पहले रूस के लूना-25 को चांद पर उतरना था. चंद्रयान-3 इस वक्त चांद से 25 किमी की दूरी पर चक्कर लगा रहा है और सबकुछ ठीक रहा तो वह 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
17अगस्त को चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल विक्रम (Vikram Lander Module) खुद ही आगे बढ़ रहा है और अब चांद से इसकी दूरी महज 25 किमी रह गई है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने कहा कि लैंडर माड्यूल सॉफ्ट लैंडिंग से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा. लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं. रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम की गोद में बैठकर चांद की करीबी कक्षा में चक्कर लगा रहा है.
23 अगस्त को ऐसे होगी सॉफ्ट लैंडिंग
इसरो ने कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. इससे पहले, इसरो ने कहा था कि लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. रविवार को इसरो ने X (ट्विटर) पर बताया, ‘दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग प्रक्रिया में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है. मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा और लैंडिंग स्थल पर सूरज के निकलने का इंतजार करेगा.’ 23 अगस्त को जैसे ही लैंडर विक्रम चांद की सतह को छुएगा तो उसकी गोद में बैठा रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेगा और स्टडी शुरू करेगा.
तय समय पर नहीं हुई लैंडिंग तो करना पड़ेगा इतना इंतजार
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 अगस्त से मून पर लूनार डे की शुरुआत होगी. चांद पर एक लूनार दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. इन 14 दिनों तक चांद पर लगातार सूरज की रोशनी रहती है. चंद्रयान-3 में जो इंस्ट्रूमेंट लगे हैं उनकी लाइफ एक लूनार दिन की है. क्योंकि ये सोलर पावर से चलते हैं इसलिए इन्हें काम करने के लिए सूरज की रोशनी की जरूरत होती है. अगर किसी वजह से 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर लैंडं नहीं कर पाता है तो अगले दिन फिर से कोशिश करेगा. अगर उस दिन भी वह इसमें सफल नहीं हो पाता तो उसको 29 दिन या पूरे महीने का इंतजार करना होगा, जोकि एक लूनार डे और एक लूनार नाइट के बराबर है.
चंद्रयान-3 से दो दिन पहले ही चांद पर उतरने वाला था रूस का लूना-25
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमॉस ने कहा कि लैंडर लूना-25 एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराकर क्रैश हो गया. शनिवार (स्थानीय समयानुसार) को अंतरिक्षयान से संपर्क टूट गया था. रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार 10 अगस्त को अपना चांद मिशन भेजा था. वहीं, भारत का चंद्रयान-2 भी चार साल पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का भारत का पिछला प्रयास 6 सितंबर 2019 को उस वक्त असफल हो गया था, जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.