चांडिल : चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड ने सुवर्णरेखा परियोजना के अपर निदेशक को लिखित आवेदन देकर चांडिल जलाशय में पुनर्वास नीति अनुसार पर्यटन व मत्स्य पालन में विस्थापितों को स्वरोजगार देने की मांग की। पत्र में लिखा गया है कि चांडिल जलाशय से विस्थापितों हुए लोगों को नौकरी नहीं मिला है और विस्थापित परिवार के सदस्य जमीन व घर डूबने के कारण भटक रहे हैं। सिंचाई विभाग के पुनर्वास नीति में उल्लेख किया गया है कि जलाशय के दोहन के उत्पत्ति से रोजगार विस्थापितों को दिया जायेगा। जलाशय से पर्यटन के लिए चांडिल नौका विहार जैसा बोराबिंदा घाट, पातकुम घाट, मैसाड़ा घाट, बांदाबीर घाट, दुलमी घाट, ओड़िया – मूरु घाट, लावा घाट, रसुनिया घाट विकसित कर विस्थापितों को स्वरोजगार दिया जा सकता है। प्रति घाट में पर्यटकों के लिए मोटर वोट उपलब्ध कराया जाय, मत्स्य पालन के लिए प्रति वर्ष एक करोड़ मत्स्य अंगुलिका दिया जाय, मछली पकड़ने के लिए जाल व नाव दिया जाय, हेचरी लगाया जाय, केज कल्चर व पेन कल्चर शुरु किया जाय। पुनर्वास नीति के अनुसार चांडिल अनुमंडल कार्यालय व डिमना में स्थित विभाग के जमीन पर दुकान निर्माण कर विस्थापितों के नाम आवंटन किया जाय। स्वरोजगार हेतु कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाय। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष नारायण गोप, सचिव श्यामल मार्डी, बासुदेव आदित्यदेव, देवेन महतो आदि उपस्थित थे