चांडिल। थाना क्षेत्र के चिलगु पुनर्वास कॉलोनी (सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना) की जमीन पर गैर विस्थापितों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने की शिकायत पर चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी ने अवैध कब्जा को मुक्त कराने का आदेश दिया था लेकिन झामुमो नेताओं एवं अन्य लोगों के विरोध के कारण कब्जा मुक्त नहीं हो पाया। बताया जाता है कि चिलगु पुनर्वास के विस्थापितों द्वारा सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना तथा चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी को लिखित शिकायत किया था, जिसमें कहा गया था कि कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना (चिलगु पुनर्वास) की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। विस्थापितों की शिकायत के बाद पिछले दिनों सुवर्णरेखा परियोजना के पदाधिकारियों ने जांच की थी तथा जांच रिपोर्ट अनुमंडल पदाधिकारी को भेजी थी। उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी ने आज अवैध कब्जा करने का आदेश जारी किया था। अवैध कब्जा हटाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा दो मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति तथा पुलिस बल की तैनाती की थी। वहीं, सुवर्णरेखा परियोजना के कई अधिकारी एवं आमीन को जिम्मेदारी दी गई थी। अनुमंडल पदाधिकारी के आदेशानुसार गुरुवार को मजिस्ट्रेट, चांडिल पुलिस व सुवर्णरेखा परियोजना के आमीन चिलगु पुनर्वास पहुंचे थे लेकिन अवैध कब्जा हटाने में असफल रहा। बताया जाता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के चिलगु पंचायत अध्यक्ष काराण हांसदा समेत अन्य लोगों ने अवैध कब्जा हटाने का विरोध किया। विरोध के कारण सुवर्णरेखा परियोजना के आमीन एवं अन्य पदाधिकारी बैंरग लौट गया।
झामुमो नेता काराण हांसदा एवं अन्य लोगों का कहना है कि चिलगु पुनर्वास में जिस जमीन पर सुवर्णरेखा परियोजना दावा कर रही हैं, वह जमीन अपनी बंदोबस्ती जमीन है।पुनर्वास कार्यालय और अपर निदेशक का कार्यालय घेराव करने की तैयारी
अवैध कब्जा मुक्त असफल होने के बाद चिलगु पुनर्वास कॉलोनी के विस्थापितों ने आक्रोश जताया है। विस्थापितों का कहना है कि एक तरफ परियोजना द्वारा हमारे रैयती जमीन को डैम निर्माण के लिए अधिग्रहण किया गया है और दूसरी तरफ विस्थापितों के लिए आवंटित पुनर्वास स्थल पर गैर विस्थापित अवैध कब्जा कर रहे हैं। लिखित शिकायत के बाद भी अवैध कब्जा हटाया नहीं जा रहा है। इसलिए अब चांडिल पुर्नवास कार्यालय और परियोजना के अपर निदेशक का कार्यालय घेराव करेंगे। बता दें कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना द्वारा इस साल चांडिल डैम का जलस्तर 183 मीटर तक रखने की तैयारी है। इस परिस्थिति में यदि डूब क्षेत्र के विस्थापित पुनर्वास स्थल में घर बनाकर रहने का प्रयास कर रहे तो उन्हें पुनर्वास स्थलों में जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।