जमशेदपुर, 12 अगस्त (रिपोर्टर): चांडिल में एक बड़ी पुरानी फैक्ट्री है, जिसमें माल महाराज का मिर्जा खेले होली की कहावत चरितार्थ होती आई है. इसके प्रमुख प्रमोटर देश के नामचीन उद्योगपति हैं. उन्होंने इसे चलाने के लिये जब-जब जिस जिस हाथ को सौंपा, उस हाथ ने इसे जमकर लूटा और आसपास के ग्रामीणों को ही नहीं, उसके वेंडरों को भी ठगा. फिलहाल यह ठगी जारी है और फर्क इतना ही है कि ठग वेश बदलकर आए हैं. एक पावर प्लांट से विस्थापित होने के बाद उस व्यक्ति ने इसे भाड़े पर चलाने का जिम्मा मूल प्रमोटर उक्त उद्योगपति से लिया. ग्रामीणों के प्रतिवाद और उनकी जरुरतों को अनदेखा करने के लिये कतिपय नेता रुपधारी लोगों को अपना चट्टा-बट्टा बनाकर ग्रामीणों के लिये जरुरी सामुदायिक जरुरतों को अनदेखा किया. यहां रेलवे की siding भी है . फैक्ट्री चलाने से कम siding पर आसपास की फैक्ट्रियों का माल उतारकर धंधा करना भी मकसद रहा. इसके लिये चांडिल में भारतीय रेलवे की साइडिंग को बंद कराने के लिये भी लोगों को उकसाने की हरसंभव चाल चली जा रही है. ताजा नमूना है कि नये ठगों ने बाजार के असंख्य छोटे छोटे कारोबारियों कोयला, लौह अयस्क आदि की सप्लाई लेकर माल बनाया और जब उनको देने की बारी आई तो धीरे धीरे पलायन का रास्ता पकडऩे लगे और अपने ग्रुप में शहर के दो-तीन बड़े नटवरलालों को शामिल कर लिया. बाजार के करोड़ों रुपये बकाया रखकर प्लांट की स्थिति ठीक नहीं होने का तर्क दिया जा रहा लेकिन ग्रुप में शामिल एक नटवरलाल अभी हाल ही ढुलाई के लिये 10 नये ट्रक टिपर (हाईवा) उतार लिये. शो-रुम के मूल्य के अनुसार कम से कम इनकी कीमत चार करोड़ होगी. एक ओर देनदारों को पैसा चुकाने के लिये पैसे की कमी का रोना और दूसरी ओर इस तरह टिपरों का कान्वाई उतारना वेंडरों के गले नहीं उतर रहा. उनकी छटपटाहट पर किसी का ध्यान नहीं है. मूल प्रमोटर से भाड़े पर लेनेवाले व्यक्ति ने यहां चेहरा बेनकाब होता देख दूसरे राज्य में पावर प्लांट लगाने के लिये बैंक को टोपी पहना दी है.साथ में वहाँ जमशेदपुर के एक उद्यमी sonthalia को साथ किया है जो इनकी आदतों के विपरीत साफ सुथरे काम में भरोसा रखते हैं. देखने की बात होती है वहां क्या गुल खिलता है.
स्थानीय वेंडरों को डराने और चुप कराने के लिये ये लोग अपराधियों पर भी पैसे उड़ा रहे हैं. जमशेदपुर का चर्चित अपराधी गिरोह का भी पैसा इनके पास लगा होने की चर्चा है.
इस गैंग में शामिल सभी नटवरलालों के रग-रग से लोग परिचित हैं लेकिन उन्हें इस कदर फंसा गया है कि वे छटपटा रहे हैं. यह छटपटाहट कभी भी बड़ा विरोध का रुप ले सकती है और तब उक्त राष्ट्रीय स्तर के उद्योगपति पर भी कलंक का दाग लग सकता है. ये नटवरलाल शहर के आपराधिक गिरोह से कारोबारियों को डराने और धमकाने का काम कर रहे हैं. हाल ही जेल से छुटे एक अपराधी को इन नटवरलालों ने ही पाल-पोसकर रखा है. अल्कोर जैसा नामी होटल और हुंडई जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को भी कलंकित करने का काम इनके नाम है.