चांडिल : सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल अनुमंडल के हाथी समस्या की गूंज अब संसद भवन में भी गूंजने लगी है। हाथियों के उत्पात से होने वाली जान व माल की क्षति से परेशान लोगों की आवाज बनकर रांची के सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में आवाज बुलंद की। उन्होंने सवाल रखा कि झारखंड में हाथियों के उत्पात और उससे होने वाले जानमाल के नुकसान और इसका आकलन करने की क्या व्यवस्था है? नुकसान की भरपाई के लिए क्या प्रावधान मौजूद है? इसके साथ ही मानव और हाथियों के मध्य हो रहे संघर्ष को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? तारांकित प्रश्नकाल के इस सवाल का केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब दिया। सांसद संजय सेठ ने अपने सवाल के साथ सदन में सुझाव भी दिया है कि हाथी और मानव के संघर्ष को रोकने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए क्योंकि यह किसी एक राज्य की समस्या नहीं होकर राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है। लगभग आधा दर्जन राज्य जंगली हाथियों के उत्पात से प्रभावित होते हैं।
2020-21 में 74 और 2021-22 में 133 लोग हुए हाथियों का शिकार
इसकी जानकारी देते हुए सांसद संजय सेठ ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सदन में बताया कि देश में हाथियों को और उनके पर्यावरण की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए केंद्र प्रायोजित स्कीम, हाथी परियोजना के तहत राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त झारखंड और ओडिशा में हाल ही में हाथियों की मौत की घटना पर भी मंत्रालय गंभीर है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। इस मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह गंभीरता है। हालांकि यह मामला और वन्यजीवों के प्रबंधन, मानव हाथी संघर्ष के प्रबंधन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकारों की होती है। सांसद के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि विगत दो वर्षों में जंगली हाथियों के उत्पात से झारखंड में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिसमें 2020-21 में 74 लोग और 2021-22 में 133 लोग हाथियों का शिकार होकर अपनी जान गवाए हैं। इसके अतिरिक्त संपत्ति आदि की क्षति और मुआवजे के लिए 2020-21 में 591 लाख रुपया और 2021-22 में 485 लाख का भुगतान मुआवजा के रूप में किया गया है।