चांडिल डैम : हाय रे विस्थापित ! तेरी अजब कहानी -घर जाए डूबा , सरकार की आंखों में नहीं है पानी

Chandi, 20 June: झारखंड में हो रहीं लगातार बारिश के कारण चांडिल डैम के विस्थापितों पर बहुत बुरा असर हुआ है। चांडिल अनुमंडल सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के विस्थापितों के घरों में पानी घुस आया है। ईचागढ़ गांव समेत आसपास के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं, आवागमन बाधित है, लोग पलायन करने लगे हैं। घरों में रखे अनाज और अन्य सामान बर्बाद हो गए। डैम के बढ़ते जलस्तर के कारण कुकडू व नीमडीह प्रखंड के भी दर्जनभर गांवों में पानी घुस आया है। गांवों में पानी घुसने से विस्थापितों में जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी है। सोशल मीडिया पर राज्य सरकार व विधायक को जमकर खरी खोटी सुनाई जा रही हैं।

बताया जाता है कि सुवर्णरेखा प्रशासन ने इस साल चांडिल डैम में 183 मीटर पानी भंडारण करने का लक्ष्य रखा है लेकिन 180 मीटर से अधिक पानी भंडारण करने से गांवों में पानी घुस जाता हैं और वही हुआ। शुक्रवार रात को 182 मीटर दर्ज किया गया था, जिसके बाद एक फाटक को आधा मीटर के लिए खोल दिया गया। वहीं, शनिवार शाम तक कुल छह फाटक खोले गए। इसके बावजूद पानी का स्तर कम नहीं हुआ। जानकारों का कहना है कि रांची समेत सभी ऊपरी हिस्से में हो रही बारिश का पानी सीधे चांडिल डैम में आ रहा हैं, जिसके कारण पानी का स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा हैं। यदि विस्थापितों को राहत देना है तो सभी फाटक खोलने की जरूरत है। चांडिल अनुमंडल परिसर
में गत दिनों आपदा प्रबंधन की बैठक में अधिकारियों को विधायक सविता महतो ने साफ तौर पर डैम में पानी भंडारण 180 मीटर तक ही सीमित रखने को कहा था लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों ने विधायक के निर्देश की अनदेखी की।
इस बीच विस्थापितों के लिए लंबे अरसे से जनांदोलन चलाने वाले संगठन विस्थापित मुक्ति वाहिनी भी आगे आया हैं। विस्थापित मुक्ति वाहिनी की ओर से झारखंड सरकार से मांग की गई हैं कि विस्थापितों को संपूर्ण मुआवजा राशि का भुगतान किया जाय जिसके बाद ही डैम में पानी का भंडारण करें। विस्थापित मुक्ति वाहिनी के श्यामल मार्डी ने कहा कि विस्थापितों के बकाया सभी पुनर्वास पैकेजों का अविलंब भुगतान किया जाए, सिंचाई की जरूरत को ध्यान में रखकर ही चांडिल जलाशय में जल भंडारण किया जाना चाहिए, चांडिल जलाशय की बिजली उत्पादन क्षमता नगण्य है। इसके लिए जल भंडारण करना और विस्थापितों का नुकसान करना कोई बुद्धिमानी नहीं है। उन्होंने मांग की है कि पुनर्वास स्थलों का सीमांकन किया जाय, पुनर्वास स्थलों में विस्थापितों को आवंटित आवासीय भूखंडों का उल्लेख राजस्व अभिलेख में दर्ज कर मालिकाना दिया जाए, आर्थिक पुनर्वास के लिए डैम के पीछे लिफ्ट इरिगेशन और डीप बोरिंग की व्यवस्था की जाए, मछली पालन एवं नौका विहार के लिए सहकारी समिति को विशेष सहायता दी जाए, बांध के किनारे फलदार पेड़ लगाए जाएं, बत्तख पालन, पशु पालन इत्यादि के लिए विस्थापितों को सहायता दी जाए। इसके अलावा सभी विस्थापित परिवारों को एकमुश्त कृतज्ञता पैकेज दिया जाए, टाटा स्टील एवं अन्य कंपनियों पर बकाया जलकर की राशि अविलंब वसूल कर विस्थापितों का सारा बकाया निपटाया जाए। श्यामल मार्डी ने कहा कि जलकर पर आधा हक विस्थापितों का सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि लोगों का इस तरह नुकसान होता हम नहीं देख सकते। शीघ्र आंदोलन शुरू होगा।

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