Chandil,23 March : सरायकेला-खरसावां जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर सरायकेला-जमशेदपुर सड़क पर स्थित है निश्चिन्तपुर गांव। मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे निश्चिन्तपुर गांव से आधा किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में जंगल से उठता धुंआ आसमान को छूने का प्रयास कर रहा था। पेड़-पौधे भयानक आग की लपटों से पल भर में जलकर खाक हो रहे हैं। छोटे-छोटे वन्य जीव, कीड़े मकोड़े का अंतिम संस्कार हो रहा है। पक्षियों ने घोंसले से उड़ कर जान तो बचाया लेकिन काफी मेहनत से बनाया हुआ अपने घरौंदा का नहीं बचा पाने का मलाल रहा होगा।
इसके कुछ दिन पहले निश्चिन्तपुर से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित गोपीपुर गांव के समीप सड़क किनारे स्थित जंगल के पेड़ पौधे भी आग से प्राण त्याग कर सबूत के तौर पर जलने का अवशेष छोड़ गये हैं। इसके बावजूद वन विभाग मौन क्यों है ? जंगल की आग कई प्रश्न खड़ा कर रही है। आग कहाँ से और कैसे लग रही है ? वन विभाग आग बुझाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा है ? आग कभी ना लगे इस के लिए आवश्यक उपाय क्यों नहीं कर रहा है ? विदित हो कि इस साल जैसी आग शायद पहले कभी जंगल मे नहीं लगी होगी। फिर भी वन विभाग मौन है ?