Corona से बचके : सरकारी इलाज बदतर , प्राइवेट में गए तो लुट जाएंगे: इस बार सरकार नहीं है मेहरबान

Jamshedpur,10 April: कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। पूरे देश में प्रतिदिन औसतन एक लाख से अधिक मरीज मिल रहे हैं . झारखंड में भी प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं। जमशेदपुर में 150 – 200 से अधिक लोग चपेट में आ रहे हैं. इनमें कई की स्थिति गंभीर है तो कई ऐसे हैं जो बिना सिम्टम्स के हैं ,इसलिए उन्हें होम क्वारंटाइन में रखा गया है । यदि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को देखें तो जो सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं उन्हें क्या सुविधा मिलती है यह भर्ती मरीज ही बता सकते हैं । निजी अस्पताल की बात करें तो आप इलाज कराने में लुट जाएंगे। क्योंकि प्रतिदिन हजारों रुपए चार्ज रखा गया है जो गरीबों व सामान्य मरीजों को देना संभव नहीं है। ऐसे में यदि कोरोना महामारी की गाइडलाइन को लेकर कोई भी भूल करते हैं तो लोग खुद ही अपने वह अपने परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। पिछले वर्ष जब 12 मई 2020 को बहरागोड़ा में एक छात्र व एक छात्रा पॉजिटिव मिले थे तो उन्हें टीएमएच में भर्ती कराया गया था। सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार कोई भी प्राइवेट अस्पताल में भी भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों से पैसे नहीं लिए जा रहे थे। टीएमएच टाटा मोटर्स समेत कई प्राइवेट अस्पताल में हजारों की संख्या में मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा था। टीएमएच हो या अन्य अस्पताल सभी जगह कोरोना की निशुल्क जांच की जा रही थी लेकिन तीन चार महीने के बाद जांच के लिए भी पैसे लिए जाने लगे। शुरुआत में कोरोना कुछ अधिक रहा लेकिन धीरे-धीरे सरकार दरों को कम करती गई । सितंबर या अक्टूबर महीने में सरकार की ओर से प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पैसे वसूलने की छूट दे दी गई। कोरोना की दूसरी लहर इतनी तेज है कि पहली लहर की तुलना में मरीज प्रतिदिन अधिक मिल रहे हैं। सरकार की ओर से निजी अस्पताल में ना तो जांच कराने और ना ही इलाज कराने में कोई छूट दी गई है। जो भी मरीज भर्ती हो रहे हैं उनसे इलाज के लिए पैसे वसूले जा रहे हैं। यदि एक सामान्य सिम्टम्स वाले कोरोना मरीज की बात करें तो यदि वह टीएमएच में भर्ती होता हैं तो उसे प्रतिदिन की दर से 8000 रुपए चार्ज लिए जा रहे हैं। 5 दिनों के बाद दोबारा जांच की जा रही है। यदि वह नेगेटिव हो जाता हैं तो अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और यदि पॉजिटिव ही पाया जाता है तो फिर 3 दिनों के बाद दोबारा जांच की जाती है। इस से एक मरीज को कम से कम 40,000 लेकर 70000 रुपए तक भरना पड़ रहा है। यदि किसी मरीज को आईसीयू में ऑक्सीजन के सहारे रखा जाता है तो उसकी जांच 1 सप्ताह बाद की जाती है। मरीज से प्रतिदिन की दर से 10,000 रुपए चार्ज लिए जाते हैं। इस तरह 1 सप्ताह में ठीक होने पर कम से कम 70 से 80000 रुपए भरना पड़ता है। एक सप्ताह में ठीक नहीं होने पर 5 दिनों के बाद दोबारा जांच होती है। नेगेटिव आने पर छुट्टी दे दी जाती है। मरीज को 1 लाख 40000 रुपए तक जमा करना पड़ता है । यदि मरीज वेंटिलेटर के सहारे रखे जाते हैं तो एक मरीज को 12000 रुपए प्रतिदिन देना पड़ता है। उसकी भी जांच 1 सप्ताह में होती है ।रिपोर्ट नेगेटिव होने पर छुट्टी दी जाती है। उससे 1 सप्ताह का करीब 80000 से 90000 रुपए तक जमा करना पड़ता है। जांच रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आने पर 5 दिनों के बाद फिर जांच की जाती है। इस तरह आम आदमी को प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना मुश्किल नहीं नामुमकिन भी दिख रहा है। यदि सरकारी अस्पताल की बात करें तो वहां क्या संसाधन है लोगों को क्या इलाज मिलेगा , इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है क्योंकि जमशेदपुर का सरकारी अस्पताल खुद बीमार रहता है।

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