केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है. इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी. इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा.
आखिर सीएए है क्या?
CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है. केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल तैयार किया है. तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी.
इस बीच बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए को लेकर प्रतिक्रिया दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि अगर कोई भेदभाव होता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। अगर सीएए कहता है कि आप आज नागरिक हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि वे पहले नागरिक नहीं थे?
ममता ने सवाल करते हुए कहा कि क्या इसका मतलब यह है कि मतुआ का आधार कार्ड इसी वजह से रद्द किया जा रहा है? मैं इस बारे में डिटेल देखने के बाद सब बताऊंगी। अगर सीएए दिखाकर एनआरसी लाकर यहां के लोगों की नागरिकता खत्म की जाएगी तो हम विरोध करेंगे। मैं एनआरसी को स्वीकार नहीं कर सकती।
जानकारी हो कि विपक्ष CAA का विरोध कर रही है जबकि सत्ता पक्ष ने चुनाव से पहले इसके अधिसूचना को जारी करने की बात कही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 27 दिसंबर को कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह देश का कानून है. शाह ने कहा था कि सीएए लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है. इन तमाम हालिया घटनाक्रम के बीच जानना यह जरूरी हो जाता है कि आखिर CAA है क्या?
किसे मिलेगी नागरिकता ?
संसद से पारित होने के बाद CAA की अधिसूचना बाकि है. बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह बिल सदन में लाया था जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन देश के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. संसद में यह बिल दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और राष्ट्रपति ने भी इसको मंजूरी दे दी थी. हालांकि, उस वक्त भी देश के कुछ हिस्सों में इस ऐक्ट का बड़े पैमाने पर विरोध किया गया था.
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. इसे पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. गृह मंत्री अमित शाह हाल ही के अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून या CAA को लागू करने की बात कर चुके थे. उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा. अब केंद्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू कर दिया है.
CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है. केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर लिया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद लॉन्च किया जाएगा. तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी. इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी.