Bokaro,5 Oct: बोकारो विधायक एवं भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण तथा बेरमो के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा है ।पिछले दिनों बोकारो विधायक ने माफी नहीं मांगने पर योगेश्वर महतो बाटुल पर दो करोड़ रु के मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी थी। पुनश्च आज योगेश्वर महतो बाटुल ने बोकारो विधायक पर कई आरोप लगाए । पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विधायक ने अपने परिवार वालों के संग मिलकर कई ट्रस्ट बनाकर वित्तीय अनियमितता की है। परिवार का एक ट्रस्ट डिफॉल्टर घोषित हो गया जिसमें कंपनी के सभी सदस्यों ने अपने को दिवालिया बताया, लेकिन इनके द्वारा दो अन्य कंपनी बनाई गई । ऐसे में बैंक को कार्रवाई करते हुए आम जनता के पैसे की रिकवरी करना चाहिए।
योगेश्वर महतो ने कहा कि बोकारो विधायक ने बारी कोऑपरेटिव में अपनी कंपनी के जरिए एक अपार्टमेंट बनाया जिसका गलत तरीके से चास नगर निगम से नक्शा पास कराया । यह अपार्टमेंट जहाँ बना है वह माडा के क्षेत्र में आता है ।ऐसे में उन्होंने अपने पावर का गलत इस्तेमाल किया है और बैंक सहित कई संस्थाओं को धोखे में रखा। अस्पताल बनाने को लेकर बियाडा से जो जमीन आवंटित की गई है वह भी गलत ढंग से लिया गया है। इसकी भी जांच होनी चाहिए और संबंधित लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर पार्टी तक मेरी शिकायत इस मामले को लेकर कोई करता है तो पार्टी के समक्ष पूरे तथ्यों के साथ अपनी बात को रखेंगे। विस्थापितों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी भाजपा छोड़ने की बात नहीं की थी ।विस्थापितों के सम्मेलन में मैंने इतना जरूर कहा था की मैं पहले विस्थापित का बेटा हूं, उसके बाद भाजपा का एक समर्पित सिपाही। थाना मोड़ पर जो कुआं है वह मेरे आंगन में हुआ करता था। 4 साल की उम्र में मैं भी विस्थापित हुआ था ।इसलिए विस्थापित का जो दर्द मेरे सीने में है वह गैर विस्थापित महसूस नहीं कर सकता है। पत्रकार सम्मेलन में विस्थापित नेता भी उपस्थित थे। दूसरी ओर भाजपा के मुख्य सचेतक बोकारो विधायक विरंची नारायण ने कहा कि आरोप निराधार है तथा समय आने पर मैं इसका जवाब दूंगा
सांसद ने विवाद सलटाने से पल्ला झाड़ा
प्रदेश प्रभारी तक पहुंच चुका है विवाद : पिछले दिनों बोकारो दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तथा झारखंड के प्रभारी तक यह विवाद पहुंच चुका है. प्रदेश प्रभारी के सामने यह विवाद उठा था तब उन्होंने सांसद पशुपतिनाथ सिंह को अभिभावक बताते हुए विवाद का निष्पादन करने का आग्रह किया था ,लेकिन सांसद ने पल्ला झाड़ते हुए प्रदेश नेतृत्व को पहल करने तथा समाधान करने की जरूरत बताई थी।