तीन बार सांसद रह चुके नेताओं को लोस चुनाव में टिकट नहीं देगी भाजपा, नए चेहरों को उतारने की तैयारी

कमजोर प्रदर्शन वाले सांसदों पर भी लटकी तलवार

भोपाल,8 दिसंबर : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी भाजपा काफी पुराने चेहरों को उतारने से परहेज करेगी। पार्टी के रणनीतिकारों के अनुसार जो नेता तीन या उससे अधिक बार सांसद रह चुके हैं, उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इसी रणनीति के तहत पार्टी ने सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा दिया था। इनमें से ज्यादातर तीन या अधिक बार सांसद का चुनाव जीत चुके थे। साथ ही पार्टी मध्य प्रदेश से भी ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रही है।
रूक्क की 29 संसदीय सीटों में से पांच रिक्त
मध्य प्रदेश की 29 संसदीय सीटों में से पांच रिक्त हैं। पार्टी ने प्रत्याशियों की तलाश के लिए सर्वे करवाना शुरू कर दिया है। पार्टी विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव से दो महीने पहले ही कई प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। पहली सूची में आकांक्षी सीट यानी हारी या फिर कमजोर लग रही सीट के प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं।
भाजपा ने वरिष्ठ सांसदों को दी नई जिम्मेदारी
लोकसभा चुनाव- 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा तीन या उससे अधिक बार के सांसदों को पहले ही विधानसभा चुनाव लड़वा चुकी है। इनमें फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार के सांसद हैं। हालांकि, वे चुनाव हार गए। प्रहलाद पटेल पांच बार सांसद रहे हैं। जबलपुर से राकेश सिंह और सतना से गणेश सिंह चार-चार बार सांसद रह चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार के नाम पर चल रहा है विचार
प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह को राज्य में मंत्री बना दिया गया। गणेश सिंह विधानसभा चुनाव भी नहीं जीत पाए, इसलिए उनकी सतना लोकसभा सीट से भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। सांसद के रूप में तीन कार्यकाल पूरा करने वालों में केंद्रीय कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर अब मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं। इसी तरह होशंगाबाद से सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह को भी प्रदेश में मंत्री बना दिया गया है।
टीकमगढ़ सांसद और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार और राजगढ़ से रोडमल नागर की दावेदारी पर भी विचार चल रहा है। वीरेंद्र कुमार भी छह बार सांसद रहे हैं। तीन बार के सांसदों में धार के छतर सिंह दरबार भी हैं। रोडमल नागर दूसरी बार के सांसद हैं, लेकिन क्षेत्र में उनका विरोध है।
कई सीटों पर बदल सकते हैं चेहरे
कई सांसद ऐसे हैं, जो कमजोर प्रदर्शन के कारण दोबारा टिकट पाने से वंचित रह सकते हैं। जानकारों का कहना है कि इनमें ग्वालियर से विवेक नारायण शेजवलकर, सागर से राजबहादुर सिंह, रीवा से जनार्दन मिश्रा, भोपाल से प्रज्ञा सिंह ठाकुर, विदिशा से रमाकांत भार्गव, शहडोल से हिमाद्री सिंह, मंदसौर से सुधीर गुप्ता और खरगोन से गजेंद्र सिंह पटेल का नाम हो सकता हैं। इनकी जगह पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है।
युवा और नए चेहरों को मिलेगा अवसर
भाजपा लोकसभा चुनाव में युवा और नए चेहरों को अवसर देकर यहां भी पीढ़ी परिवर्तन का संदेश देना चाहती है। इससे पहले भाजपा ने राज्यसभा के लिए भी ज्यादातर नए चेहरों पर ही दांव लगाया है। जानकारों का कहना है कि नए चेहरों में खासतौर से उन युवाओं को मौका मिल सकता है, जो आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हैं।

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