अजीबोगरीब -थानेदार और दारोगा ने चैंबर में घुसकर जज से की मारपीट

बिहार के मधुबनी जिले में एक अजीबोगरीब घटना हुई है। थानेदार और दारोगा जज के चेंबर में घुसकर गये. दोनों ने पिस्टल की नोंक पर जज के साथ मारपीट की. शोर-शराबा सुनकर कोर्ट के वकील जज साहब के चेंबर की ओर दौड़े तो उनकी जान बची. वकीलों ने थानेदार औऱ दरोगा को कोर्ट में ही बंधक बना लिया है. ये वही जज हैं जिन्होंने मधुबनी के एसपी सत्यप्रकाश को कानून की जानकारी न होने की कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजने का आदेश दिया था.
घटना मधुबनी जिले के झंझारपुर कोर्ट परिसर की है. घटना के बारे में वकील बता रहे हैं कि आज दोपहर उन्होंने एडीजे प्रथम अविनाश कुमार के चेंबर में शोर शराबा होते सुना. मारपीट औऱ गालीगलौज की आवाज सुनकर वकील जज साहब के चेंबर की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि दो वर्दीधारी हाथों में पिस्टल लिये भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे हैं औऱ मारपीट कर रहे हैं. वकीलों ने बताया कि उनके चेंबर में जाने के बाद भी दोनों पुलिसवाले गाली-गलौज औऱ मारपीट कर रहे थे. पुलिसवालों के हमले से सदमे में आये जज कांप रहे थे. बीचबचाव करने आये जज के कर्मचारी चंदन कुमार के साथ भी दोनों पुलिसकर्मियों ने जमकर मारपीट की.
घटना के बारे में बताया जा रहा है कि घोघरडीहा थाना क्षेत्र के एक गांव का मारपीट का मामला कोर्ट में चल रहा था। पी?ित पक्ष के साथ फिर से मारपीट की गई, जिसमें एक महिला ने अपना आवेदन अनुमंडल विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष सह एडीजे प्रथम अविनाश कुमार को दिया था। इन्होंने उस आवेदन पर संज्ञान लेते हुए घोघरडीहा थानाध्यक्ष को नोटिस किया और बुधवार को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था। बुधवार को नहीं आकर थानाध्यक्ष अपने एक सहयोगी अधिकारी के साथ गुरुवार को करीब दो बजे पहुंचे। सीधा एडीजे के चैंबर में गए। आने का कारण बताने पर एडीजे ने कहा कि आपको तो कल ही आना था। इस पर थानाध्यक्ष आपा खो बैठे और अभद्र भाषा का उपयोग किया। विरोध करने पर एडीजे पर हमला कर दिया और उनके साथ मारपीट की। एडीजे पर पिस्टल तान दी। मारपीट होता देख अनुमंडल न्यायालय में कार्यरत कर्मियों व अधिवक्ताओं ने बीचबचाव किया और दोनों पुलिस कर्मियों के कब्जे से एडीजे को मुक्त कराया।
फैसला दे चर्चा में थे एडीजे

बता दें कि हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) अविनाश कुमार के न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा दी थी। उन्होंने एक कुत्ते को पालने और पांच कुत्तों को एक माह तक खाना देने की शर्त पर एक हत्यारोपित को जमानत दी थी। इसी तरह रंगदारी व मारपीट के दो आरोपितों को अनुसूचित जाति के गरीब पांच बच्चों को छह माह तक आधा लीटर दूध मुफ्त में देने की शर्त पर जमानत दी थी। वहीं छेड़छाड़ के आरोपित को छह माह तक अपने गांव की सभी महिलाओं के कपड़े धोने और इस्त्री करने की शर्त पर जमानत दी थी।

जज अविनाश कुमार के बयान पर दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही थी. मामले पर कोई पुलिस पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. झंझारपुर कोर्ट के वकीलों ने बताया कि एडीजे प्रथम अविनाश कुमार लोक अदालत के भी अध्यक्ष हैं. लोक अदालत में घोघरडीहा थाना क्षेत्र की एक महिला ने आवेदन दिया था. इसमें थानेदार गोपाल कृष्ण और ्रस्ढ्ढ अभिमन्यु कुमार को कोर्ट में तलब किया गया था. दोनों समय पर नहीं पहुंचे तो ्रष्ठछ्व ने उन्हें जमकर फटकार लगाई थी. इसके बाद ये घटना हुई है.

हम आपको बता दें कि एडीजे प्रथम अविनाश कुमार ने एक नाबालिग लडक़ी के अपहरण मामले में पुलिस की ओर से सही धारा न लगाने औऱ एसपी के सुपरविजन रिपोर्ट में मामले की लीपोपती किये जाने पर बेहद सख्त रुख अख्तियार किया था. एडीजे ने मधुबनी के एसपी डॉ सत्य प्रकाश के खिलाफ डीजीपी, होम मिनिस्ट्री, राज्य और केंद्र सरकार को खत लिखा था. कोर्ट ने लिखा था कि मधुबनी के एसपी को कानून के साथ साथ आपराधिक मामलों में सुसंगत धारा लगाने की सही जानकारी नहीं है. लिहाजा उन्हें आईपीएस ट्रेनिंग सेंटर हैदराबाद में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाए.
घटना के बाद कोर्ट परिसर में अफरातफरी व हंगामा का माहौल बन गया। सूचना मिलते ही एसडीएम शैलेश कुमार चौधरी, डीएसपी आशीष आनंद एवं झंझारपुर थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी नेहा कुमारी भारी दल-बल के साथ कोर्ट परिसर पहुंचे। फिलहाल घटना को लेकर कानूनी कार्रवाई की कवायद चल रही है। वरीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कोर्ट परिसर में कैंप कर रहे हैं। कोर्ट परिसर के दोनों प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया है। पूरा परिसर पुलिस छावनी बना हुआ है। इधर, इस घटना को लेकर कोर्ट कर्मियों व अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है। दोनों आरोपित पुलिस पदाधिकारी फिलहाल हिरासत में हैं।

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