सर्वदलीय बैठक में बिहार में जातीय गणना पर मुहर भाजपा भी ‘हां में हां’ मिलाने पहुंची

नीतीश बोले- पहले कराएंगे कैबिनेट से पास

पटना,1 जून (ईएमएस):बिहार में जातीय गणना होगी। इसका ऐलान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। उन्होंने कहा- पहले कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया जाएगा, फिर जातियों की गिनती शुरू होगी। जातीय गणना करने वाला बिहार दूसरा राज्य होगा। इससे पहले कर्नाटक ने जातीय सर्वे कराया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक पब्लिश नहीं हुई है।
बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद सीमए नीतीश कुमार ने कहा, सभी दलों ने निर्णय लिया है कि बिहार में जातीय गणना होगी। इसके लिए वित्तीय व्यवस्था भी की जानी है। जातीय गणना कराने को लेकर विज्ञापन भी दिया जाएगा। सभी दलों को जानकारी दी जाएगी। इसको लेकर अधिकारियों को लगाया जाएगा। कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। सीएम ने बताया, हम लोगों ने इसका नाम जाति आधारित जनगणना दिया है। सभी 9 दलों ने इस पर फैसला लिया है। किसी तरह से कोई मतभेद नहीं है। हम लोगों ने अपनी तरफ से केंद्र सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला था, इसलिए हमने खुद से कराने का निर्णय लिया।
गिरिराज सिंह को विजय चौधरी ने दिया जवाब
बैठक से पहले संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें सभी धर्मों की गणना होती है। बता दें, गिरिराज ने बुधवार को ही मांग की है कि जातीय जनगणना में अल्पसंख्यकों की गिनती भी होनी चाहिए।
बता दें, लगातार सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाने पर अपनी सहमति दी थी और कहा था कि सभी दलों की राय लेकर भी जातीय जनगणना कराया जाएगा। बैठक जदयू, भाजपा, कांग्रेस, राजद, भाकपा, माकपा, भाकपा माले, हम और एआइएमआईएम के प्रतिनिधि ्राामिल हुए.
तेजस्वी यादव ने की थी पहल
सबसे बड़ी बात है कि इस बैठक को लेकर तेजस्वी यादव ने पहल की थी। यहां तक कि तेजस्वी यादव की पहल पर ही मुख्यमंत्री ने अपनी अगुवाई में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। बीच में तेजस्वी यादव ने जब इस मामले को ठंडा होता देखा तो उन्होंने इस सीधे सरकार को चुनौती दे दी। कहा यदि जातीय जनगणना बिहार सरकार नहीं कराएगी तो बड़ा आंदोलन करेंगे। दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे।आनन-फानन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम हाउस में तेजस्वी यादव को बुलाकर बात की और फिर सर्वदलीय बैठक कराने का निर्णय लिया।
जातिगत जनगणना कराने के पीछे का तर्क
आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई। तब से अब तक हुई सभी 7 जनगणना में स्ष्ट और स्ञ्ज का जातिगत डेटा पब्लिश होता है, लेकिन बाकी जातियों का डेटा पब्लिश नहीं होता। डेटा नहीं होने के कारण ओबीसी आबादी का ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

Share this News...