Patna 23 augustबिहार विधानसभा में असमंजस की स्थिति बन गयी है. विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि वो स्पीकर के पद से इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि सदन की बात सदन में करेंगे. मुझे मिला नोटिस नियमों और प्रावधान के खिलाफ है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है. विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं था. लेकिन इस क्रम में विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया है. उस पर चुप रहना अनुचित है. अध्यक्ष संसदीय नियमों तथा परंपराओं का संरक्षक है. यह केवल पद नहीं बल्कि एक न्यास का अंगरक्षक है.
व्यक्तिगत सम्मान के ऊपर लोकतंत्र की गरिमा
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के दायित्व से बंधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना है. ये विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्ताधारी सरकार के द्वारा मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. मगर अविश्वास प्रस्ताव का जो नोटिस सभा सचिवालय को दिया गया है, उसमें संवैधानिक नियमों और प्रावधानों की अनदेखी की गयी है. ऐसे में अध्यक्ष होने के नाते मेरा उस नोटिस को अस्वीकृत करना स्वाभाविक जिम्मेदारी थी.
पहले विधानसभा अध्यक्ष होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव से हटाया जाएगा
विजय कुमार सिन्हा बिहार के पहले ऐसे विधानसभा अध्यक्ष होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया जाएगा. हालांकि माना जा रहा था कि बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने अपनी बात रखने के लिए एक पत्र जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि दांव पर सब कुछ लगा है, रूक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते. हालांकि सदन में उनके लिए टीक पाना संभव नहीं दिख रहा है. अध्यक्ष के समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं. जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं.
राजद ने पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव
इसी महीने 10 अगस्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर प्रदेश में नई सरकार बना ली थी. नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 40 से अधिक विधायकों ने विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था.
बिहार के 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 160 से अधिक विधायक हैं, जहां अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक साधारण बहुमत की आवश्यकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 79 विधायकों वाली सबसे बड़ी पार्टी RJD अपने दिग्गज नेता अवध बिहारी चौधरी को संवैधानिक पद के लिए नामांकित करते हुए अध्यक्ष पद के लिए दावा पेश करेगी. बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं BJP नेता अवधेश नारायण सिंह को भी बदला जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि जदयू इस पद के लिये देवेश चंद्र ठाकुर नाम पर विचार कर रहा है.
स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद ललित यादव की अध्यक्षता में महागठबंधन के नेताओं ने मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। बिहार विधानसभा के सचिव के समक्ष 10 अगस्त को महागठबंधन के 50 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपा गया था। अविश्वास प्रस्ताव के तहत विजय कुमार सिन्हा को अध्यक्ष के रूप में अपना पद बरकरार रखने के लिए विधानसभा के अंदर बहुमत साबित करना होगा। लेकिन अब उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया है।
अधिकतम कितने दिन कुर्सी पर रह सकते हैं स्पीकर
अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिए जाने के 14 दिन बाद उस पर चर्चा हो सकती है। नोटिस दिए जाने का बाद विधानसभा की कार्यवाही सत्र शुरू होने पर चर्चा के लिए यह सबसे पहला एजेंडा होता है। जब अविश्वास प्रस्ताव लिया जाता है, तो स्पीकर खुद अध्यक्षता नहीं कर सकता। ऐसे में डिप्टी स्पीकर काम संभालेंगे। विधानसभा में जेडीयू नेता महेश्वर हजारी डिप्टी स्पीकर हैं। कानून के मुताबिक विजय कुमार सिन्हा अधिकतम 14 दिन स्पीकर की कुर्सी पर रह सकते हैं। वहीं महागठबंधन को 15 दिनों का इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में 14 दिनों का समय 23 अगस्त को खत्म हो रहा है और सत्र 24 अगस्त को होगा। लेकिन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ही स्पीकर ने कह दिया है कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
अब आगे क्या होगा
बता दें कि बिहार विधानसभा के कार्यसंचालन नियमावली में अध्यक्ष को हटाने और नये अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया निर्धारित है। खासबात यह है कि बिहार के राज्यपाल द्वारा अध्यक्ष के निर्वाचन की तिथि निर्धारित की जाती है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो विधानसभा अध्यक्ष का पद अभी खाली नहीं है और ना ही इस तरह की कोई सूचना विधानसभा की ओर से महामहिम राज्यपाल को दी गई है। जहां तक विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की बात है तो पद रिक्ति की सूचना मिलने के बाद राज्यपाल द्वारा तिथि निर्धारित की जाती है। नियम के अनुसार, निर्वाचन की तिथि के एक दिन पहले 12 बजे दिन तक ही अध्यक्ष बनने को इच्छुक सदस्य विधानसभा सचिव के पास नामांकन दर्ज कर सकते हैं।