कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम होने की अफवाह फैलाई जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ऐसी अफवाहों को बेबुनियाद एवं झूठा बताया है। इस मसले पर अब भारत बायोटेक ने भी सफाई दी है।
हैदराबाद, । सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस रोधी टीके कोवैक्सीन को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम होने की अफवाह फैलाई जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ऐसी अफवाहों को बेबुनियाद एवं झूठा बताया है। इस मसले पर अब भारत बायोटेक ने भी सफाई दी है। भारत बायोटेक ने बुधवार को कहा कि वायरल वैक्सीन के निर्माण के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कोवैक्सीन पूरी तरह से शुद्ध वैक्सीन है और इसे सभी अशुद्धियों को हटाकर तैयार किया गया है।
भारत बायोटेक ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वायरल टीकों के निर्माण के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल कोशिकाओं (सेल्स) के विकास के लिए होता है लेकिन (SARS CoV-2) सार्स सीओवी-2 वायरस की ग्रोथ या फाइनल फॉमूला में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। भारत बायोटेक ने कहा कि उसकी कोवैक्सीन पूरी तरह से शुद्ध है। कोवैक्सीन का निर्माण सभी अशुद्धियों को हटाकर तैयार किया गया है।
हैदराबाद स्थित वैक्सीन बनाने वाली स्वदेशी कंपनी ने यह भी कहा कि दशकों से विश्व स्तर पर टीकों के निर्माण में गोजातीय सीरम का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बीते नौ महीनों से विभिन्न प्रकाशनों में नवजात बछड़े के सीरम के इस्तेमाल को पारदर्शी रूप से उल्लेखित भी किया गया था।
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि कोरोना रोधी टीके कोवैक्सीन की कंपोजिशन (संरचना) के संबंध में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहे हैं। इस वायरल पोस्ट में कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम मिलाया गया है। इस पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। भारत के स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं है। गोजातीय और अन्य जानवरों से मिले सीरम मानक संवर्धन घटक हैं जिनका इस्तेमाल विश्व स्तर पर वेरो सेल के विकास में होता है।