बहरागोड़ा प्रखंड के सांड्रा पंचायत में शुक्रवार सुबह एक मादा हाथी का शव पानी से भरे खेत में मिला। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल सीमा से सटा हुआ है।
घटना का विवरण
गुरुवार देर रात को पश्चिम बंगाल के बाकड़ा क्षेत्र से 10-12 जंगली हाथियों का एक झुंड झारखंड की सीमा में प्रवेश किया। ये हाथी भादुआ गांव स्थित धान के खेतों में घुस गए और फसल को नुकसान पहुँचाने लगे। खेत में पानी और कीचड़ भरा हुआ था। सुबह होने से पहले, हाथियों का झुंड वापस पश्चिम बंगाल की सीमा की ओर चला गया, लेकिन एक मादा हाथी खेत में मृत पाई गई।
संभावित कारण
मादा हाथी की मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, परंतु अनुमान है कि झुंड में आपसी लड़ाई के कारण उसकी मौत हुई होगी।
वन विभाग की कार्रवाई
सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुँच गए और घटना की जांच शुरू कर दी। वन विभाग के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिल चुकी है और मादा हाथी की मौत की छानबीन की जा रही है।
पिछले वर्ष की घटनाएं
गत वर्ष, चाकुलिया वन क्षेत्र समेत पूरे घाटशिला अनुमंडल में सात हाथियों की मौत हो गई थी। इनमें से दो हाथी चाकुलिया और पांच मुसाबनी वन क्षेत्र में हाई वोल्टेज तार के संपर्क में आकर मारे गए थे।
इस घटना से क्षेत्र में वन्य जीव सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं। वन विभाग इस मामले की गहनता से जांच कर रहा है।
हेमन्त राज में अब गजराज भी सुरक्षित नहीं : डॉ दिनेशानंद गोस्वामी
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने कहा कि हेमन्त राज में अब हाथी भी सुरक्षित नहीं हैं। आज बहरागोड़ा प्रखंड के भादुआ गांव में दाकिन मूर्मू के खेत में एक हाथिनी मृत पाई गई। सूचना पाकर डॉ दिनेशानंद गोस्वामी मौके पर पहुंचे हाथी की मौत पर दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा कि विगत 5 वर्षों से बहरागोड़ा तथा चाकुलिया में हाथियों के उपद्रव को जनता झेल रही है। हाथियों के चपेट में 14 निर्दोष लोगों की जानें जा चुकी है। चाकुलिया के 50 गांवों के लोग हाथियों के दहशत के साये में में रात गुजार रहे हैं। डॉ गोस्वामी ने सरकार से हाथियों के झुंड को सुरक्षित दलमा के घने जंगलों में भेजने की व्यवस्था करने तथा जंगल में हाथियों के भोजन की व्यवस्था करने की मांग की है। मौके पर डॉ गोस्वामी के साथ बड़शोल मंडल अध्यक्ष आशीष महापात्र, भाजपा नेता प्रवीर भोल, कमलकांत सिंह, यादव पात्र,रुपेश सिंह, मानिक दास, जगन्नाथ पलाइ, डुडुन कुंडु,निर्मल महतो,गौरांग महतो, गुरूप्रसाद दास तथा हेमन्त महतो भी पहुंचे थे।