किसी भी एथलीट के लिए ओलंपिक का मेडल जीतना गर्व की बात होती है। कई बार एथलीट 3 से 4 ओलंपिक खेलने के बाद महज 1 बार मेडल जीत पाता है। अगर किसी खिलाड़ी ने ओलंपिक मेडल बेचा है तो फैंस उसे मूर्ख समझेंगे। लेकिन जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीतने वाली पौलेंड की मारिया आंद्रेजेक ने एक नेक काम के लिए यह कदम उठाया।
मारिया ने 8 साल की एक नवजात बच्ची मिवॉश्क जिसको दिल की एक गंभीर बिमारी है उसको बचाने के लिए हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में जीता अपना मेडल बेचने का फैसला किया।
दरअसल इस बच्ची को सर्जरी की जल्द से जल्द जरूरत थी। सभी यूरोपिय अस्पतालों ने इसका इलाज करने से मना कर दिया था। इस बच्ची की आखिरी उम्मीद अमेरिका के स्टैंडफर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर है। यहीं उसकी सर्जरी संभव है।
हालांकि इस सर्जरी पर काफी खर्चा होने वाला है। बच्ची के पिता एक ऑनलाइन कैंपेन चला रहे हैं जिससे रकम का इंतजाम हो। सर्जरी का कुल खर्च 3 करोड़ रुपए होने वाला है। अभी आधा ही इंतजाम हुआ था कि मारिया ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने अपना पदक भी बेचने का फैसला किया।
मारिया ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘मिवॉश्क को दिल की गंभीर बीमारी है और उन्हें फौरन ऑपरेशन की जरूरत है। उन्हें कुबुस से मदद मिली है- एक बच्चा जिसके लिए समय से इंतजाम नहीं हो पाया लेकिन उसके माता-पिता ने जमा किया गया फंड आगे देने का फैसला किया। मैं भी ऐसे ही कुछ मदद करना चाहती हूं। इस बच्चे के लिए मैं अपना ओलिंपिक सिल्वर मेडल नीलाम कर रही हूं।’
25 साल की मारिया खुद एक कैंसर की मरीज रह चुकी हैं। उनका यह मेडल 1 लाख 25 हजार डॉलर (87.5 लाख रुपए) में पौलेंड की कंपनी जब्का पोल्स्का ने खरीदा लेकिन यह मेडल उन्होंने मारिया को लौटा दिया और पूरी रकम मिवॉश्क के इलाज में लगा दी।