वो गाड़ी से उतरा, कांस्टेबल से हथकड़ी की रस्सी खींची, फिर…’, पुलिस ने बताया तालाब में कैसे डूबा आरोपी
असम के नगांव जिले के धींग में गैंगरेप के मुख्य आरोपी ने पुलिस हिरासत से भागकर तालाब में छलांग लगा दी और उसकी मौत हो गई. इस मामले में नगांव एसपी स्वप्निल डेका ने कहा कि 22 अगस्त को एक नाबालिग के साथ तीन आरोपियों ने गैंगरेप किया. ह्यूमन इंटेलीजेंस और टेक्निकल इनपुट के आधार पर हमने तीन लोगों की पहचान की थी. इसमें से एक आरोपी को हमने कल अरेस्ट किया था. रात करीब 11 बजे पुलिस आरोपी को बाहर लेकर गई, ताकि इस अपराध में शामिल दूसरे आरोपियों को पकड़ा जा सके.
इस दौरान आरोपी को पुलिस की गाड़ी से नीचे उतारा गया. वह जगह बहुत ही संकरी थी. जैसे ही आरोपी गाड़ी से उतरा तो उसने अचानक कांस्टेबल से हथकड़ी की रस्सी खींच ली और तालाब में कूद गया. हमने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अंधेरे के कारण हम उसे तुरंत नहीं बचा सके.
समाचार एजेंसी के मुताबिक एसपी स्वप्निल डेका ने कहा कि इस घटना के तुरंत बाद हमने एसडीआरएफ टीम को बुलाया. हमने सुबह आरोपी का शव बरामद किया. उन्होंने कहा कि गैंगरेप के अन्य 2 आरोपी अभी भी फरार हैं और हम उनकी तलाश कर रहे हैं. उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही पकड़ लेंगे.
क्या था मामला?
बता दें कि गुरुवार शाम को तीन लोगों ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया. पीड़िता उस वक्त अपनी साइकिल पर ट्यूशन से घर लौट रही थी, तभी आरोपियों ने उसे घेर लिया. स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस को सूचित किए जाने से पहले आरोपी उसे एक तालाब के पास सड़क किनारे घायल और बेहोश अवस्था में छोड़कर भाग गए.
ग्रामीणों ने किया आरोपी के परिवार का बहिष्कार
पीटीआई के मुताबिक इस बीच ग्रामीणों ने शनिवार सुबह एक बैठक की और आरोपी द्वारा किए गए अपराध के संबंध में तीन फैसले लिए. गांव के एक बुजुर्ग मोहम्मद शाहजहां ने कहा कि हमने गांव के कब्रिस्तान में आरोपी को दफनाने की अनुमति नहीं देने, उसके ‘जनाजे’ में शामिल न होने और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि ‘गांव के युवक के अपराध ने हमें शर्मसार कर दिया है और हम उसे सामुदायिक कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं दे सकते. घटना के विरोध में गांव की मस्जिद से एक मार्च भी निकाला गया.
ग्रामीणों का अंतिम संस्कार के बहिष्कार का फैसला
ढिंग इलाके के बोरभेटी गांव के ग्रामीणों ने मीडियाकर्मियों से कहा, “हमने रेप आरोपी के अंतिम संस्कार का बहिष्कार का फैसला किया है. यह जघन्य अपराध था और हम नहीं चाहते कि किसी भी लड़की के साथ ऐसा हो. गांव का कोई भी व्यक्ति आरोपी के अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लेगा और हमारा मानना है कि भगवान ने उसे सजा दे दी है.” यह वही इलाका है, जहां पर आरोपी रहता था. साथ ही ग्रामीणों ने दावा किया कि अन्य दो आरोपी भी गांव के आसपास के इलाकों में रहते हैं और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
ग्रामीणों ने कहा, “गांव के लोगों ने प्रण किया है कि हमें बलात्कार, हत्या, नशीली दवाओं की तस्करी जैसे मामलों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ना चाहिए. इसलिए ग्रामीण आगामी दिनों में भी अपराधियों के अंतिम संस्कार का बहिष्कार करेंगे.”
नगांव की घटना पर क्या बोले CM सरमा?
घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जघन्य अपराध में शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. सरमा ने शुक्रवार को कहा, “ढिंग की एक नाबालिग हिंदू लड़की के खिलाफ जघन्य अपराध करने की हिम्मत करने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा.”
उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के बाद, “एक विशेष समुदाय के सदस्यों का एक वर्ग बेहद सक्रिय हो गया है और उन्हें ऐसे अपराध करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. हालांकि हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.” साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में महिलाओं के खिलाफ ऐसे 22 अपराध हुए हैं और राज्य में यह 23वीं ऐसी घटना है.
पहले भी सामने आ चुकी हैं ऐसी घटनाएं
पुलिस की गिरफ्त से आरोपियों के भागने की घटना कोई नई बात नहीं है. ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. सबसे चर्चित मामला जुलाई 2020 में उत्तर प्रदेश में सामने आया था. उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम मध्य प्रदेश के उज्जैन से विकास दुबे को सड़क मार्ग से कानपुर लेकर जा रही थी. इसी दौरान रास्ते में गाड़ी पलट गई थी. पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे ने गाड़ी पलटने के बाद जवान की पिस्तौल लेकर भागने की कोशिश की थी. इसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी, जिसमें दुबे की मौत हो गई. इस मामले में गठित न्यायिक आयोग ने पुलिस की थ्योरी को सही माना था.
वहीं ऐसा मामला हैदराबाद में सामने आया था. जहां नवंबर 2019 में वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. बाद में पुलिस ने चारों को मार गिराया था. पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की थी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उनकी मौत हो गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने इस फर्जी करार दिया था और पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला चलाने की सिफारिश की थी.