एवरेस्ट फतह कर लौटी अस्मिता दोरजी का जेआरडी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में भव्य स्वागत, शेरपा की बेटी हूं, हिम्मत रखती हैं: अस्मिता दोरजी

जमशेदपुर, 30 मई (रिपोर्टर): विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह करने के बाद जमशेदपुर लौटी अस्मिता दोरजी का जेआरडी टाटा स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में भव्य स्वागत किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि उनके पिता अंग दोरजी ने 1983 में बिना सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन के एवरेस्ट फतह की थी. उनकी ही बेटी हूं. टाटा स्टील के सहयोग और सभी लोगों के आशीर्वाद से उन्होंने भी एवरेस्ट फतह की है. उनका लक्ष्य था बिना सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन के एवरेस्ट फतह करने का लेकिन वह पूरा नहीं हो सका. इसका मलाल है. उन्होंने कहा कि फिर भी शेरपा की बेटी हूं इसलिए ऐसा करने का भी हिम्मत रखती है. उन्होंने कहा उनके पिता से उन्हें यह प्रेरणा मिली है.
एवरेस्ट फतह करने वाली टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की शीर्ष पर्वतारोही व वरिष्ठ प्रशिक्षक अस्मिता दोरजी जब मंंगलवार की शाम जेआरडी टाटा स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स पहुंची तो उनका भव्य स्वागत किया गया. उनका ढोल नगाड़े के साथ स्वागत किया गया. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह करने के अनुभव को शेयर किया. उन्होंने कहा कि उनके पिता अंग दोरजी बछेंद्री पाल के शेरपा थे. वहीं से एवरेस्ट फतह करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने कहा कि 1983 मेें उनके पिता से बिना सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन के एवरेस्ट फतह की थी. इसके बाद 1984 में उनके पिता बछेन्द्री पाल के शेरपा थे जब बछेन्द्री पाल ने एवरेस्ट फतह की थी. बछेन्द्री पाल की अस्मिता शिष्य भी हैं. उन्होंने कहा कि परिवार के साथ-साथ टाटा स्टील फाउंडेशन का बड़ा सहयोग मिला, जिसके कारण इतिहास रच पायी. उन्होंने कहा कि 23 मई के शुरुआती घंटों में माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई पूरी की. शुरू में सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन के बिना चढ़ाई करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उन्हें कैंप- 4 में 8000 मीटर उंचाई पर इसका उपयोग करना पड़ा. एक अप्रैल खुम्बू क्षेत्र से 8 दिन की ट्रेकिंग के बाद 14 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंची.18 मई को अस्मिता ने अपना अंतिम शिखर अभियान शुरू किया. खतरनाक खुम्बू हिमपात को पार करते हुए वह 19 मई को कैंप 2 पर पहुंची. उन्होंने 22 मई की रात 10 बजे अपनी अंतिम शिखर यात्रा शुरू की और 23 मई को सुबह 8.20 बजे शिखर पर पहुंची. अस्मिता के साथ उनके शेरपा गाइड लक्फा नूरू भी थे, जो नेपाल के एक बहुत ही अनुभवी शेरपा गाइड हैं. मौके पर टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा कि यह अस्मिता और टीएसएएफ की पूरी टीम के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष एवरेस्ट फतह के दौरान मौसम काफी खराब था. खराब विंड व बफबारी भी अधिक थी. ठंड व अधिक बर्फबारी के कारण लोगों को कफी की अधिक परेशानी हो रही थी. इस बीमारी से कुछ लोगों की मौत भी हुई. इस मौके पर टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट कॉरपोरेट सर्विसेज चाणक्य चौधरी, वाइस प्रेसीडेंट सीएसआई उत्तम सिंह, स्पोट्र्स हेड हेमंत गुप्ता, अस्मिता की बहन समेत अन्य परिजन मौजूद थे.
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एक-दो पर्वतारोही और भी एवरेस्ट फतह को हो रहे तैयार: चाणक्य
टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट कॉरपोरेट सर्विसेज चाणक्य चौधरी ने एवरेस्ट फतह कर शहर आयी अस्मिता दोरजी को बधाई देेते हुए कहा कि टाटा स्टील का काम है प्रोत्साहित करना लेकिन इस लक्ष्य के लिए पर्वतारोहियों में जुनून भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अस्मिता ने बिना सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन के एवरेस्ट फतह का लक्ष्य रखा था. उस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ी भी लेकिन अपनी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन का सहयोग लेना पड़ा. ऐसा करना उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी थी. उन्होंने कहा कि जब अस्मिता एवरेस्ट पर चढ़ाई करने जा भी रही थी तो उनलोगों से सुझाव दिया था कि जरूरत पडऩे पर सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन का उपयोग कर लेंगी जो उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. उन्होंने कहा एक-दो वर्षो में कुछ लोगों के प्रस्ताव आते रहते हैं कि वे एवरेस्ट पर्वत समेत अन्य चोटियों की चढ़ाई करेंगे. उन्होंने कहा कि एक-दो पर्वतारोही तैयार भी किए जा रहे हैं. उन्हें टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से प्रशिक्षित भी करने का काम चल रहा है.

 

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