जीवन साहित्य सहित हो ना कि साहित्य रहित- एस.आई आर के मुर्मू

चाईबासा । व्यक्ति चाहे जिस भी प्रोफेशन में हो वह कोई भी काम करते हों उनका साहित्य के प्रति झुकाव जरूर होना चाहिए। साहित्य जीवन को बुनियाद व गति प्रदान करता है यह कभी भटकाव महसूस होने नहीं देता है।
पश्चिमी सिंहभूम पुलिस एसोसिएशन के नवनिर्वाचित युवा अध्यक्ष पुलिस ऑफ़िसर के साथ-साथ एक बेहतरीन ‘शायर’ भी हैं। प्रचंड बहुमत व अपार समर्थन के साथ हाल में झारखंड पुलिस एसोसिएशन, पश्चिमी सिंहभूम के अध्यक्ष बने राहुल कुमार मुर्मू अपने कार्यकुशलता, व्यवहारिकता व विज़नरी माइंडसेट की वजह से पुलिस महकमे के अलावा कोल्हान के आम जनमानस में भी दिन-प्रतिदिन बेहद लोकप्रिय होते जा रहे हैं।
पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत रोलाग्राम गाँव में जन्मे आर. के. मुर्मू अपने स्कूल समय से ही शायरों एवं उनके कलामों में दिलचस्पी लेते रहे हैं जिसका नतीजा है कि वो खुद इस राह में हैं। जब भी उन्हें मौका मिला है उन्होंने विभिन्न मंचों के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने अबतक कुछ ग़ज़लें लिखी हैं और सैकड़ों ‘शेर’ कहे हैं जिनमें ये कुछ चुनिंदे ‘शेर’ हैं।

“बड़े यकीं से रूठता हूँ तुमसे
माँ हो न तुम मुझे मनाओगी ही।”

“बहोत सारे अज़नबी जहाँ एकसाथ रहते हैं
हम गाँव के लोग तो उसे ही शहर कहते हैं।”

“फ़ासले गर आदत बन जायें
तो समझो सबकुछ खत्म हो गया।”

“परेशानी की ऐसी आदत हो गयी है
कि आज परिशां ना हुये तो परिशान हो गये।”

“दिन भर की जद्दोज़हद पर नहीं भर पाता परिवार का पेट
बहोत मुश्किल है निभाना यहाँ एक ग़रीब का किरदार।”

“दो कौमें उलझ जाती है बस जरा-जरा सी बात पर
सियासी लोगों को मेरा मशवरा है मसले को सुलझा दिया करो।”

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