असम में सरकारी मदरसे खत्म करने का बिल हुआ पास

कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने किया विरोध
गुवाहाटी, 30 दिसंबर असम राज्य के सरकारी मदरसों को खत्म कर स्कूल में बदलने का बिल आज प्रदेश विधान सभा में पारित किया गया। कांग्रेस ने बिल को प्रवर समिति में भेजने की खारिज होने पर सदन से वाकआउट कर दिया। कांग्रेस के साथ ही आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) ने भी इस मसले पर्याप्त चर्चा के लिए असम निरसन विधेयक, 2020 को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की थी।
शिक्षा मंत्री हेमंत बिश्व सरमा ने उनकी मांग खारिज कर दी, जिसके बाद स्पीकर हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने ध्वनि मत के लिए बिल को रखा। सदन में भारी हंगामे के बीच बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया। भाजपा गठबंधन के सभी दल-असम गण परिषद (एजीपी) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने बिल का समर्थन किया। इस विधेयक में दो मौजूदा अधिनियमों-असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण), 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण और मदरसा शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम, 2018 को खत्म करने का प्रस्ताव है।

विपक्ष की आपत्तियों के जवाब में सरमा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के लिए एक उपहार होने जा रहा है। इन मदरसों में पढऩे वाले छात्र 10 साल बाद इस फैसले की सराहना करेंगे।’विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक अगले साल एक अप्रैल से सभी मदरसा उच्च प्राथमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक स्कूल में बदल जाएंगे। हालांकि, शिक्षण और शिक्षण स्टाफ की स्थिति, वेतन, भत्तों और सेवा में कोई बदलाव नहीं आएगा।

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