आर्का जैन यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन , केवल उपाधि लेना ही जीवन का मकसद नहीं होना चाहिए, राज्यपाल

बल्कि आपको अपने जीवन में सही दृष्टिकोण के साथ सही राह का चयन भी करना उद्देश्य

जमशेदपुर। सोमवार को अर्का जैन यूनिवर्सिटी का प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल रमेश बैस थे। इस मौके पर सांसद विद्युतवरण महतो, सांसद गीता कोड़ा, आर्का जैन यूनिवर्सिटी के निदेशक अमित श्रीवास्तव, यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एसएस रजि, कुलसचिव जसवीर सिंह धंजल, प्रोफेसर डॉक्टर अंगद तिवारी, रिचा गर्ग, बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला, टाटा वर्कर्स यूनियन के असिस्टेंट सेक्रेटरी नितेश राज, कुमार अभिषेक समेत सैकड़ों छात्र-छात्राएं व उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे। इस मौके पर राज्यपाल रमेश बैस ने उपाधि लेने वाले छात्र व छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि यह दिन आपके संस्थान के साथ-साथ आपके आपके अभिभावकों के लिए विशेष दिन है। आपके माता-पिता के लिए आज का दिन खास है क्योंकि उन्होंने आप की शिक्षा दीक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशी का भी त्याग किया होगा। उन्होंने कहा कि उपाधि धारण करने वाले छात्रों के लिए आज का दिन विशेष तो है ही अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणादाई है क्योंकि उनको यह दिन अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए और भी प्रेरित करेगा और उनमें नई उर्जा भरेगा। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक पड़ाव होता है। उन्होंने छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने का टिप्स देते हुए कहा कि केवल उपाधि लेना है आपके जीवन का मकसद नहीं होना चाहिए आपको अपने जीवन में सही दृष्टिकोण के साथ-साथ सही राह का चयन भी करना है। जीवन के कर्म क्षेत्र में प्रवेश कर अपनी दक्षता व परिश्रम से अपनी पहचान व उत्कृष्टता स्थापित करनी है। उर्न्होने कहा कि छात्रों के अंदर हमेशा सीखने की इच्छा व लालसा होनी चाहिए अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए सदा अपने कर्मों से स्वयं के साथ-साथ समाज का भी नाम रोशन करें क्योंकि यह आपका एक सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि आपको सामाजिक मुद्दों को विवेकपूर्ण तरीके से देखने की जरूरत है। उन्होंने आर्का जैन यूनिवर्सिटी को झारखंड के शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में योगदान देने अलग-अलग वर्गों को शिक्षा हुए सुविधा मुहैया कराने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताया गया है कि यूनिवर्सिटी में 35 से 40% लड़कियां हैं जो नारी शिक्षा के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि एक थी स्वर्ण पदक पाने वाले मैं से 20% लड़कियां हैं जो नारी सशक्तिकरण का उदाहरण है उन्होंने कहां थी आज हमारी बेटियां उच्च शिक्षा हासिल करने के प्रति बहुत जागरूक हो रही है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा न सिर्फ छात्रों की जीविकोपार्जन या आजीविका की संभावनाओं को निर्धारित करती है बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी दिशा देती है। उन्होंने कहा कि झारखंड एक प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण राज्य है और अच्छे उद्यमियों के जरिए इस राज्य को देश के विकसित राज्यों की सूची में लाने की दिशा में सोचना होगा जिसके लिए आप जैसे युवाओं को आत्मनिर्भर निर्भरता और स्वावलंबन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए रोजगार लेने के बजाय रोजगार देने की सोच पैदा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं का दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना नहीं उन्हें डिग्रियां बांटना तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उनमें जीवन में बेहतर करने की ललक जगाना उनकी प्रतिभा को निकालना और उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को भी यह प्रयास करना चाहिए कि छात्र एक सामाजिक सुसंस्कृत और कुशल नागरिक के रूप में विकसित हो छात्र अपने जीवन में अनुशासन व विनम्रता को अपनाएं। उन्होंने कहा कि हमें अपने युवाओं में स्थित रचनात्मक शक्ति और रचनात्मक ऊर्जा पर परिपूर्ण उम्मीद है। भविष्य को दिशा देने का उत्तरदायित्व हमारे युवाओं पर ही है। युवाओं को सही दिशा देने का अहम कार्य शिक्षण संस्थाओं का ही है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दीक्षांत समारोह की नियमितता और छात्रों में अपने कर्मों के प्रति इमानदारी बनी रहेगी वह विश्वविद्यालय और यहां के छात्र राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।

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