इंडिया के चश्मे से भारत समझ नहीं आएगा ,कांग्रेस पर अमित शाह का तीखा तंज

नई दिल्ली,17 दिसंबर (ईएमएस) गृह मंत्री अमित शाह राज्य सभा में अपना संबोधन दे रहे हैं, संविधान मुद्दे पर ही उनकी तरफ से अपने विचार रखे जा रहे हैं। उनकी तरफ से एक तरफ देश के संविधान का जिक्र किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उन मुल्कों का जिक्र भी हुआ है जहां पर लोकतंत्र खतरे में पड़ा है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमे अपने संविधान पर गर्व है, यह लोकतांत्रिक मूल्यों की वजह से ही इतना सफल हो पाया है। सरदार पटेल ने इसे सही मायनों में मजबूत करने का काम किया है। जिसने भी संविधानों को शब्दों में छापा है और चित्रों को निकाल दिया है, उन लोगों ने संविधान के साथ ही छल करने का काम किया है। असल में संविधान सभा में राजदेंद्र प्रसाद जी अध्यक्ष बने थे, कई दिग्गज वहां मौजूद थे, अनेक चर्चाओं में हिस्सा लेने के बाद संविधान को पूर्ण बनाने का काम किया है।
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अमित शाह ने आगे कहा कि लेकिन इसके अलावा महात्मा गांधी, विवेकानंद, वीर सावरकर जैसे महापुरुषों ने भी कोई ना कोई सिद्धांत संविधान के लिए प्रस्तावित किया था। हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तित नहीं माना गया, परिवर्तन क्योंकि जीवन का मंत्र है, ऐसे में हमारी संविधान सभा ने भी इसे स्वीकार किया। अभी कुछ नेताओं ने 54 साल की उम्र में खुद को युवा कहते हैं, बोलते हैं कि संविधान खत्म कर देंगे, यह भूल जाते हैं कि उसी संविधान ने संशोधन करने का अधिकार दे रखा है।
शाह ने किया सरदार पटेल को याद
शाह ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान की जानकारी सभी को होनी ही चाहिए। उन्होंने जोर देकर बोला कि संसद के दोनों सदनों में जो चर्चा हुई, वह देश के युवाओं के लिए शिक्षणात्मक रहेगीज्इससे देश के लोगों को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि किस पार्टी ने संविधान का सम्मान कियाज् मैं सरदार पटेल को धन्यवाद देता हूं उनके अथक परिश्रम के कारण देश एक होकर दुनिया के सामने मजबूती से खड़ा है।
विदेशी चश्मे वाला तंज
गृह मंत्री ने आगे कहा कि कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। हां, हमने हर संविधान का अभ्यास जरूर किया है, क्योंकि हमारे यहां ऋग्वेद में कहा गया है, हर कोने से हमें अच्छाई प्राप्त हो, सुविचार प्राप्त हो, और सुविचार को स्वीकारने के लिए मेरा मन खुला हो। हमने सबसे अच्छा लिया है, लेकिन हमने हमारी परंपराओं को नहीं छोड़ा है। पढऩे का चश्मा अगर विदेशी है, तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी।
उनकी तरफ से जोर देकर यह भी कहा गया कि संविधान की रचना के बाद डॉ अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है, अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों। उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो। ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं।
राहुल पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का संविधान की किताब साथ लेकर चलना भी शाह को रास नहीं आया है। उन्होंने चुटकी लेते हुए बोला कि अभी हाल में हुए चुनाव में हमने अजीबो-गरीब नजारा देखा। इतने साल चुनाव हुए, लेकिन मैंने आजतक किसी को आम सभाओं में संविधान को लहराते नहीं देखा। संविधान को लहराकर और झूठ बोलकर कुत्सित प्रयास कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने किया। संविधान लहराने और बहकाने का मुद्दा नहीं है, संविधान विश्वास है, संविधान श्रद्धा है। वैसे पीएम मोदी ने भी कुछ इसी अंदाज में संविधान मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया था।

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