अलास्का में पाया जाने वाला ब्लूथ्रोट पक्षी पहली बार खरसावां क्षेत्र में देखा गया

खरसावां : अलास्का में पाया जाने वाला ब्लूथ्रोट पक्षी पहली बार खरसावां क्षेत्र में देखा गया है. ब्लूथ्रोट (लुसकिनिया सेवेसिका) एक छोटी गौरैया पक्षी है. जिसे माना जाता है पुरानी दुनिया का फ्लाईकैचर, मस्किकापिड है. यह एक प्रवासी कीटभक्षी प्रजाति है. जो गीली सन्टी लक$डी या जंगली दलदल में प्रजनन करती है. यह पक्षी यूरोप में और पलेआर्कटिक के पार पश्चिमी अलास्का में पैर जमाने के साथ यहोंं घोंसला बनाता है. उक्त बाते खरसावां के बुनियादी बीज प्रगुणन व प्रषिक्षण केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ तिरूपम रेड्डी ने कही. उन्होने कहा कि ब्लूथ्रोट पक्षी जनेेवबो या घनी झा$िडयों में कम. यह उत्तरी अफ्रीका और भारत में सर्दियाँ होती हैं. उपमहाद्वीप में यह पक्षी पहली बार खरसावां में सुबह के समय धान के खेतों के पास नजर आता है. यह कीटों का शिकार कर रहा था (फसलों को नुकसान पहुंचाता है). ब्लूथ्रोट (लुसिनिया स्वेसीका) एक छोटा प्रवासी पक्षी है और भारत में आता है. उन्होने कहा कि अक्टूबर में सर्दी और मार्च-अप्रैल में पत्तियां के समय मुझे बताया गया था कि यह पक्षी सब आता है. अलास्का से रास्ता और इसके बावजूद यहां तक पहुंचने में कितना समय लगता है. छोटा आकार का ब्लूथ्रोट पक्षी प्रति दिन ८०-१०० किमी तक यात्रा करने में सक्षम है. हिंदी में इस पक्षी को नीलकंठी के नाम से जाना जाता है, जो ब्लूथ्रोट का शाब्दिक अनुवाद है. लेकिन यह नील कंठी भारतीय रोलर से अलग है. जिसे नील कंठ के नाम से जाना जाता है.
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