कुर्मी जाति द्वारा एसटी का दर्जा देने की मांग का आदिवासी क्रांति सेना ने किया विरोध

दुमका , आदिवासी क्रांति सेना ने कुर्मी जाति द्वारा एसटी की दर्जा देने की मांग का विरोध किया है। इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को निखिल मुर्मू के अगुवाई में के परिसदन में कुर्मी महतो समुदाय द्वारा एसटी मांग के आंदोलन के विरोध में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया गया। यहां बताते चलें कि 20 से सितंबर से कुर्मी महतो समुदाय ने रेल रोड चक्का जाम का आह्वान बिहार बंगाल और उड़ीसा में किया था, इसमें कोलकाता हाई कोर्ट ने इस बंदी पर रोक लगा दी थी बावजूद इसके कुर्मी महतो समुदाय ने झारखंड और उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में चक्का जाम किया था। आज आदिवासी क्रांति सेना के निखिल मुर्मू ने कहा कि कुर्मी महतो समुदाय को अपनी मांग जल्द से जल्द वापस लेना चाहिए और सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर मणिपुर की स्थिति ना बने इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आगे निखिल मुर्मू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि आज कुर्मी महतो समुदाय सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ, निजी लाभ, एसटी आरक्षण और तमाम संवैधानिक और कानूनी अधिकार को हड़पने के लिए एसटी सूची में आने की होड़ लगाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी कुर्मी महतो समुदाय के सांसद और लीडरों द्वारा आदिवासी विरोधी करने का काम किया गया है, PESA एक्ट को वर्ष 2005 में इन्हीं के नेता द्वारा झारखंड हाई कोर्ट से रद्द करने का काम किया गया था वह एक्ट जिससे आदिवासियों को अपने राज्य में शक्तियां और अधिकार मिलती और आज यही समुदाय एसटी मैं आना चाहते हैं। आगे उन्होंने कहा कुर्मी महतो समुदाय का भाषा परंपरा रहन-सहन वेशभूषा कोई भी आदिवासी से मेल नहीं होता, इनकी एसटी सूची में आने की मांग को सभी संवैधानिक संस्थाएं यहां तक की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी सिरे से निरस्त कर दिया है बावजूद इसके वे रेल रोड चक्का जाम करके और गैर संवैधानिक और गैर कानूनी तरीके अपना करके माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित मुर्मू, स्टेनली हेंब्रम, सीमांत हसदा, बेनीलाल टुडू, रवि मरांडी, लवकिशोर टुडू, सनिदेवाल बेसरा फ्रांशिश हांसदा, आरेंश टुड, संजय सोरेन आदि शामिल थे।

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