झारखंड के राज्यपाल को आदिवासी संगठनों ने सात सूत्री मांग पत्र सौंपा

चांडिल : बुधवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से आदिवासी सेंगेल अभियान, केंद्रीय सरना समिति और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की तरफ से 12 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने मिलकर 7 सूत्री मांगपत्र सौंपा। सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि फिलहाल पूरे झारखंड में जो भाषा विवाद और 1932 खतियान का स्थानीय नीति पर गरमा गरम बहस जारी है ऐसी परिस्थिति में समाधानमूलक कुछ मांगों को राज्यपाल के सामने रखा गया। जिसमें मुख्य मांगे हैं झारखंड और झारखंडी की पहचान 9 आदिवासी और मूलवासी भाषाएं हैं। झारखंड सरकार को इन भाषाओं को प्राथमिकता के आधार पर समृद्ध करना चाहिए। इन भाषाओं से पठन-पाठन, सरकारी कार्य और नियोजन में उपयोग होना चाहिए। साथ ही मांग रखी गई की सबसे बड़ी आदिवासी भाषा – संताली को जो आठवीं अनुसूची में शामिल होकर राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है, को झारखंड में प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर लागू करने का वादा किया था। अब लगता है सरकार अपने वायदे से पीछे हट रही है और जनता के साथ एक प्रकार से धोखेबाजी कर रही है। जनभावना है कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का निर्धारण हो। राज्यपाल महोदय के समक्ष मांग रखी गई कि झारखंड में जितनी भी सरकारी गैर सरकारी नौकरियां हैं उसका 90% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों को दिया जाए और प्रखंडवार कोटा बनाकर केवल प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए।
भारत के आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मान्यता उनके भाषा संस्कृति इतिहास की अस्तित्व का मामला है। संवैधानिक हक का मामला है। आदिवासी प्रकृति पूजक हैं और अधिकांश हिंदू मुसलमान ईसाई नहीं है। इसलिए राज्यपाल महोदय के समक्ष मांग रखी गई कि भारत सरकार अविलंब सरना धर्म कोड को मान्यता प्रदान करें। इसके अलावा और चार मांगों का भी जिक्र किया गया। जिसमें 73% संयुक्त आरक्षण देने, सीएनटी एसपीटी कानून को सख्ती से लागू करने, विस्थापन पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग बंद करने और सती प्रथा की तरह डायन प्रथा को भी युद्ध स्तर पर खत्म करने की मांग रखी गई। इस अवसर पर पूर्व सांसद सह सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू , राष्ट्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू, बिरसा मुर्मू, फुलचंद तिर्की, सत्यनारायण लकड़ा, देवनारायण मुर्मू, भुवनेश्वर लोहरा, सुखदेव मुर्मू, मंगल पडेया, बिमो मुर्मू, बिदेशी महतो, प्रेमशीला मुर्मू शामिल थे। इसके पूर्व राजभवन के समक्ष सेंगेल अभियान के सात जिला के नेता व कार्यकर्ताओं ने एकदिवसीय धरना में भाग लिया।

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