Adityapur: मेयर के किले को ढाहने की मध्यावधि योजना: बहाना स्व. राम पारस सिंहा पुण्यतिथि


वार्ड 29 में मेयर के पुत्र को हराने की तैयारी के साथ मैदान में उतरे पुरेन्द्र : अरविंद सिंह समेत अन्य ऊंची जातियों के लोगों को साधने की कोशिश


Adityapur, 9 March: आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र वार्ड संख्या 29 वर्तमान समय में राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। मेयर के किला को ध्वस्त करने की योजना के साथ नगर निगम की राजनीति करनेवाले दिग्गज वार्ड 29 में दस्तक दे रहे हैं। दूसरी ओर वार्ड का प्रभार लेकर मेयर ने भी वहां चुनावी दांव खेल दिया है। मंगलवार को स्व. रामपारस सिन्हा की नौंवी पुण्यतिथि वार्ड 29 अंतर्गत कल्याण कुंज में मनायी गयी। इसमें ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह मुख्य अतिथि के रूप में बुलाये गये थे। इनके अलावे शारदा देवी, रविन्द्रनाथ चौबे आदि को बुलाकर सामाजिक समरसता का संदेश वार्ड के लोगो को दिया गया। कार्यक्रम में स्व. रामपारस सिन्हा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि अरविंद सिंह ने कहा कि स्व. रामपारस सिन्हा ने राजनीतिक व सामाजिक संघर्ष की बदौलत अपनी पहचान बनायी। कार्यक्रम में अरविंद कुमार पप्पू ,मनमोहन सिंह राजपूत, एसडी प्रसाद, रामजी शर्मा, विजेंद्र प्रसाद, समरेंद्र नाथ तिवारी, सुरेश धारी ,सत्य प्रकाश, प्रमोद गुप्ता, मिथिलेश झा, संजय यादव, अरविंद कुमार राय, रघुनाथ प्रसाद सिंह, विनोद जायसवाल, ऋषि गुप्ता, आशुतोष गुप्ता, जवाहर प्रसाद सिंह, ओम प्रकाश, के एल यादव, फुलेश्वर शाह, मुंशी यादव, यूके सिंह सहित अन्य लोग उपस्थत थे।

स्व. राजमणी देवी के पुत्र मनमोहन सिंह के समर्थन में उतरे पुरेन्द्र

नगर निगम चुनाव में मेयर पद का चुनाव हार चुके पुरेन्द्र आगामी चुनाव में मेयर के किला को ध्वस्त करने की राजनीति के तहत वार्ड 29 में मेयर पुत्र को पराजित करने के लिए मैदान में उतर चुके है। हालांकि अभी चुनाव का शंखनाद भी नहीं हुआ है ,लेकिन लोगो से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। पुरेन्द्र नारायण सिंह के पास ओबीसी वोटरों का समर्थन है। लेकिन अगड़े वोटर इसको लेकर बिदक नहीं जाए, इसको देखते हुए मलखान सिंह समेंत कई अगड़े नेताओं का सहारा ले रहे है। दूसरी ओर मेयर विकास की गंगा बहाकर चुनाव में अपने पुत्र को विजेता बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
नगर निगम से जनता की आकांक्षाओं को धक्का लगा है और निर्वाचित प्रतिनिधि गुटबाज़ी और स्टेटस प्रदर्शन के साथ योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी की खींचतान में मशगूल हैं। वार्डों में सफाई का मामला हो या सड़कों पर रोशनी की हालत संतोषजनक नहीं हैं। टाटा कांड्रा सड़क पर यू ही अंधकार छाया रहता है। उसकी रोशनी और विद्युत शुल्क का निदान आज तक नहीं हुआ। ऐसी बहुत जनसमस्याएं यू ही मुह बाए खड़ी हैं। मेयर और डिप्टी मेयर का शीतयुद्ध जग जाहिर है। भीतरी हिस्सों में नालियों और सड़कों का कोई देखनहार नहीं और गलियों तक मे हाई राइज बिल्डिंग बन जा रही हैं क्योंकि जन प्रतिनिधियों को जनस्वास्थ्य और सुरक्षा पर ध्यान की जगह बिल्डरों के हितों का ख्याल ज्यादा दिखाई देता है ।

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