सरायकेला खरसावां स्थित टाटा कांड्रा रोड किनारे आधुनिक पावर प्लांट में अभी मंत्री चम्पई सोरेन के हस्तक्षेप से उत्पादन शुरू हो गया और गेट पर बना अवरोध समाप्त हो गया। कोयला लदे ट्रक गेट से भीतर जाने लगे। पिछले 3 दिनों से किये गए गेट बंद आंदोलन के कारण कल देर रात वहां पावर उत्पादन ठप हो गया था।
झारखंड सरकार के वरिष्ठ मंत्री चम्पई सोरेन से हस्तक्षेप की उम्मीद शुरू से थी क्योंकि जे एम एम समर्थक समिति के लोग ही आंदोलन कर रहे थे। मंत्री से उनलोगों ने अपनी समस्या बताई थी। कहा जाता है कि विस्थापितों की मांग आंदोलन का मुख्य मुद्दा बताया जाता है लेकिन कोल रैक की अनलोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग का एक ठेका इस आंदोलन को भड़काने की बड़ी वजह बनी। यह प्लांट रुग्ण अवस्था में है जिसे वित्तीय और बैंकिंग संस्थाएं अपने निवेश की रक्षा के मद्दे नज़र एक प्रक्रिया के तहत इसका संचालन कर रही हैं।
कोरोना काल में रोजगार के लिए राज्य सरकार जहां आगे बढ़कर नए नए अवसर तलाश रही है, वहीं एक उद्योग में उत्पादन अशांति की वजह से बंद बना रहता, तो राज्य सरकार विपक्ष और आम जनता की किरकिरी झेलती। प्रबंधन से शिकायतें जायज हो सकती हैं लेकिन इस तरह बंदी के बाद पुनः इस रुग्ण उद्योग को चलाना दुरूह हो जाता और पावर जनरेशन का यह महत्वपूर्ण उद्यम पहले से ही उद्योगों के कब्रगाह बने सरायकेला खरसावां तथा आदित्यपुर गम्हरिया औद्योगिक क्षेत्र में मृत उद्योगों की फेहरिश्त ही बढ़ाता।