जमशेदपुर, 3 फरवरी (रिपोर्टर) : कथावाचक प्रदीप मिश्रा के 5 फरवरी से प्रस्तावित पांच दिवसीय कथा आयोजन में सशरीर वही लोग सीधे श्रवण और उनके दर्शन का लाभ ले सकेंगे, जिनके पास प्रतिव्यक्ति कम से कम 5 हजार नकद रुपये आयोजन समिति को चुकाने की कूबत हो. अगर नजदीक से और आगे बैठकर आप श्रवण या दर्शन करना चाहें तो कम से कम प्रति व्यक्ति 25 हजार और अधिकतम एक लाख रुपये देने की क्षमता होनी चाहिये.
आचार्य मिश्रा के यूट्यूब पर प्रवचन प्रसारित होते हैं, लोग उन्हें चाव से सुनते हैं. भारतवर्ष में धर्म के प्रति आस्था और संत महात्माओं के प्रति श्रद्धा सनातनी संस्कृति का हिस्सा है. लेकिन संत महात्मा उनके पास आनेवालों को यही सलाह देते हैं कि गुरु के पास खाली हाथ न जाएं. कुछ भी न हो तो पान पत्ता, सुपारी या फूल-फल ही लेकर आना चाहिये. यह प्रेम का बंधन होता है. लेकिन यहां जमशेदपुर में आचार्य प्रदीप मिश्रा के कथा आयोजन के लिये जिस ढंग से उगाही हो रही है, उसके लिये न शायद आचार्य जी ने अनुमति दी होगी न ही उन्हें इसका संज्ञान होगा.
आयोजन समिति द्वारा आयोजन का खर्च निकालना एक लक्ष्य हो सकता है, लेकिन पूरे कार्यक्रम को एक इवेंट की तरह प्रस्तुत कर भारी भरकम प्रवेश शुल्क की वसूली, समाज के गण्यमान्य और प्रतिनिधि संस्थाओं से दूरी, मीडिया की उपेक्षा आश्चर्यचकित करनेवाला है. आयोजन समिति में कौन कौन लोग हैं, खर्च का क्या बजट है और उसकी व्यवस्था का क्या लक्ष्य है, इसकी कोई परिकल्पना किसी को नहीं मालूम. मीडिया ने जब पता करने की कोशिश की तो बड़ा ही गैर जिम्मेदारीपूर्ण जवाब मिला कि मीडिया से आयोजन को कोई मतलब नहीं. आसाराम बापू भी बड़ा रसूख रखते थे और मीडिया पर इस तरह की टीका टिप्पणी कर हमेशा चर्चा में आ जाते थे.
उल्लेखनीय है कि कथा का आयोजन डोबो में हो रहा है. चंदा उगाही और कथा सुनने की चाहत रखनेवालों से पास निर्गत करने के नाम पर जर्बदस्त उगाही हो रही है. शहर में घूम-घूमकर चंदा के नाम पर पैसा लिया जा रहा है, जिसका हिसाब-किताब कौन रख रहा है, इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है. त्रिकालदर्शी सेवा समिति के नाम से रातों रात एक संस्था बनी है, जिसकी स्वयंभू अध्यक्ष रंजीता वर्मा नामक महिला है.
आम तौर पर धार्मिक आयोजन करनेवाले लोग किसी विशेष एकाउंट या डीडी बनाकर ही सहयोग राशि प्राप्त करते हैं, ताकि उस एकाउंट का ऑडिट कर लोगों तक जानकारी साझा की जा सके. लेकिन यहां यह बात नहीं है. संपन्न लोगों को नकद (कैश) देने पर ही जोर दिया जा रहा है. बताया जाता है कि आयोजन में सहयोग के लिये राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास भी आयोजकगण गये थे. उन्होंने अपने कार्यालय से जब आयोजन के प्रस्ताव और आयोजकों के बारे में जानकारी प्राप्त कराई तो वे इसके लिये तैयार नहीं हुए. जबकि आयोजकों ने मीडिया में यह बात प्रसारित करने की कोशिश की थी कि बन्ना गुप्ता भी कथा आयोजन में साथ हैं. पता चला कि आयोजन के लिये मुख्त: तीन लोग अधिकृत हैं. इसमें एक रंजीता वर्मा, दूसरी उनकी सगी बहन तथा तीसरा अज्ञात है.
कथा सुनने के लिये चुकानी पड़ेगी हैसियत के अनुसार फीस
कथा सुनने की इच्छा रखनेवाले भक्तों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है. आयोजकों ने कुछ ही दिनों में ऐसी व्यवस्था खड़ी कर दी कि इसके लिये भक्तों को मोटी रकम चुकानी पड़ेगी. मिली जानकारी के अनुसार वहां प्रवेश पाने के लिये पास के नाम पर कम से कम 5001 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. 5001 रु. देनेवाले को सबसे पीछे स्थान मिलेगा, जबकि बैठने के अलग-अलग कैटेगरी के आधार पर 11 हजार, 21 हजार, 51 हजार तथा एक लाख रुपये तक रुपये लिये जा रहे हैं. आयोजकों ने इस बात को मीडिया से छिपाकर रखी है. इस तरह के इंटरटेनमेंट और प्रवेश शुल्कवाले कार्यक्रमों के लिये इंटरटेनमेंट टैक्स, जीएसटी, आयकर में छूट आदि के प्रावधान होते हैं. अब संबंधित विभागों को देखना है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है या वहां भी ‘खाता न बही, मैडम और उनके शागिर्द जो कहे वही सही’ चल रहा है. इस क्रम में एक रोचक बात यह भी पता चली है कि आयोजन में लगे स्वयंसेवकों को बैच देने के लिये 1100 रुपये लिये जा रहे हैं. उसी तरह आज कलश यात्रा में 251 रुपये प्रति महिला वसूल कर उन्हें शामिल किया गया.
चांडिल के डोबो में जिस स्थान पर आचार्य प्रदीप मिश्रा का कार्यक्रम होना है, वहां से महज 200 मीटर दूर गैर हिंदू धर्म कपाली मुस्लिम बहुल क्षेत्र की बड़ी आबादी रहती हैं।
कार्यक्रम को लेकर डोबो के ग्रामवासियों ने विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि डोबो गांव समेत आसपास के टोला में भी हिंदू समाज के लोग रहते हैं। हमारे गांव में कार्यक्रम हो रहे हैं लेकिन हमें जानकारी नहीं दी गई हैं। ग्रामीणों ने कहा है कि बगैर ग्रामसभा के कार्यक्रम किए जाने का अर्थ हुआ कि स्थानीय लोगों का कोई महत्व नहीं है।
पोर्टल संचालक ने व्हाट्सएप ग्रुप में कई लोगों को बनाया एडमिन
धालभूम एसडीएम के संज्ञान में आते ही हुए लेफ्ट
त्रिकालदर्शी सेवा समिति और इसके ऑफिसियल व्हाट्सग्रुप में नये नये जुड़े एक पोर्टल संचालक ने अपने पोर्टल के नाम से भी व्हाट्सएप ग्रुप संचालन करता है. ग्रुप की विश्वसनीयता ऐसी है कि आज भी उक्त ग्रुप के एडमिन के रुप में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के निजी आप्त सचिव रहे स्व. मणीन्द्र चौधरी सहित धालभूम एसडीएम पीयूष सिन्हा को जोडक़र रखा गया है. धालभूम एसडीएम को जब यह प्रकरण संज्ञान में आया तो उन्होंने तत्काल ही उक्त ग्रुप से लेफ्ट हो गये. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उनकी अनुमति के बिना ग्रुप में जोडऩा या एडमिन बनाना कानूनन अपराध है. अगर भविष्य में कोई भी व्यक्ति ऐसा करते हुए मिलेंगे तो कानून के सुसंगत धाराओं के तहत जिला प्रशासन कार्रवाई भी कर सकता है. मणीन्द्र चौधरी का निधन हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन आज उन्हें उक्त ग्रुप में एडमिन बनाकर रखा गया है. इससे साफ समझा जा सकता है कि लोगों की आस्था के साथ किस तरह खिलवाड़ किया जा रहा है.
भारी वाहनों के परिचालन से दुर्घटना का खतरा
कथावाचक प्रदीप मिश्रा के 5 फरवरी से प्रस्तावित पांच दिवसीय कथा का आयोजन स्थल डोबो मेन रोड से बिल्कुल सटा हुआ है. चूंकि यह सडक़ आजकल काफी व्यस्ततम हो चुकी है तथा दिनभर इस मार्ग से भारी वाहनों (निजी वाहन, यात्री वाहन, मालवाहक वाहन) आदि का परिचालन होता रहता है, इसलिये दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. मेन रोड से बमुश्किल 150-200 मीटर की दूरी पर पंडाल का निर्माण किया गया है, जिसे आवाजाही करनेवालों तक दुर्घटना का खतरा मंडराता रहेगा और वहां जाम की स्थिति भी बन सकती है. पुलिस प्रशासन ने अनुमति किन शर्तों पर दी है यह पता नहीं चल पाया है. चांडिल एसडीओ ने बताया कि आवाजाही और सडक़ पर पार्किंग न हो, इसकी व्यवस्था करने का आश्वासन आयोजकों ने दिया है. बड़े अधिकारी ने भी स्थल का मुआयना किया है. आयोजन स्थल वनभूमि है और किसके आदेश से डोजर चलाकर समतलीकरण कार्य किया गया. अनुमति के लिये क्या वन विभाग से सहमति ली गई है.
कथा का समय 5 से 9 फरवरी को अपराह्न 2 बजे से संध्या 5 बजे तक रखा गया है. यह समय नो इंट्री खुलने का भी होता है. आयोजकों का दावा है कि वहां लाखों भक्त जुटेंगे. अगर उनकी बातों को सच माना जाए तो इतनी भीड़ वहां जुटने और कथा खत्म होने के वक्त सडक़ पर जो भीड़ उमड़ेगी, वह ट्रॉफिक व्यवस्था के लिये परेशानी का सबब बनेगी.
पार्किंग व ट्रॉफिक के लिये कोई ब्लू प्रिंट नहीं
आयोजन स्थल पर आनेवाले भक्तों की संख्या, वाहनों की पार्किंग तथा ट्रॉफिक व्यवस्था संभालने के लिये कोई ब्लू प्रिंट तैयार नहीं किया गया है. अगर किया भी गया है तो मीडिया के साथ कोई साझा नहीं की गई है. आयोजन स्थल में एक हैंगरनुमा पंडाल तैयार किया गया है, जिसके आसपास खाली स्थान पर भी खुले में पंडाल बनाकर वहां चेयर लगाने की योजना है. मौसम विभाग के अनुसार 5-6 फरवरी को बारिश की संभावना है. ऐसा होने पर वहां की स्थिति काफी खतरनाक होगी. पार्किंग के लिये तय स्थान भी काफी छोटा है, जिससे आयोजकों के दावा अनुसार वाहन पार्किंग में भी असुविधा होगी.
शहर के कई गण्यमान्यों ने भी बनाई दूरी
पंडित प्रदीप मिश्रा जैसे बड़े कथावाचक के आने की सूचना पर शुरुआत में अनेक लोग जुड़े, लेकिन जैसे जैसे उनकी गतिविधियों की जानकारी हुई, कई लोगों ने अपने को अलग कर लिया है. संस्था द्वारा गतदिनों बिष्टुपुर राम मंदिर में सामूहिक बैठक की गई थी, जिसमें जुगसलाई के समाजसेवी लिप्पू शर्मा, उमेश खीरवाल सहित कई युवा जुड़े थे. जुगसलाई के ही गोविंद भारद्वाज, दादी परिवार की दिलीप रिंगसिया भी जुड़े लेकिन आज उनके जैसे कई लोग अलग हो चुके हैं. बिष्टुपुर के एक उद्यमी परिवार भी इसका शुरुआत की दिलचस्पी के बाद नजदीक से हालात देखकर हाथ खींच लिया. कहा जाता है कि व्यासपीठ के गद्दे के खर्च के लिये उन्होंने रकम चुकाने की सहमति दी थी, जिसकी कीमत 8 हजार रुपये बताई गई थी. जब उनकी ओर से भुगतान का वक्त आया तो यह राशि 10 हजार हो गई, जिसके लिये कोई प्राप्ति रसीद नहीं दी जा रही थी. तभी उस परिवार ने हाथ खींचा.
पंडाल के आसपास सांपों का बिल
डोबो काजू बगान में पंडाल तो बना दिया गया है, लेकिन वहां सांपों के विचरन का भी डर होता है.
फेसबुकिया व यूट्यूबरों के चक्कर में फंसे आयोजक
आयोजकों को बड़े बड़े ख्वाब दिखाते हुए कुछ यूट्यूबर व फेसबुकिया ने पूरे आयोजन को हाईजैक कर लिया. उन्होंने आयोजकों को झांसा दिया कि वे व्हाट्सएप ग्रुप में ही जानकारी साझा कर लोगों को आकर्षित करेंगे, जिससे मनचाही उगाही की जा सकती है. उक्त यूट्यूबर व पोर्टल संचालित करनेवाले कई लोग एकसाथ मिलकर लोगों को जोडक़र पैसा उगाही करने में लगे हुए हैं.