Jamshedpur,11March. गत 5 मार्च को न्यायालय मे फ़रार अभियुक्त हरीश सिंह को अपराधिक षड्यंत्र के तहत न्यायालय से फ़रार जानते हुए भी वकील का वेष धारण करवा कर न्यायालय में बयान के लिए लाना और बयान के उपरांत पुनः भागने में मदद करना ,आदि आरोप में पु अ नि धर्मेंद्र कुमार अग्रवाल सीतारामडेरा थाना के आवेदन के आधार पर हरीश सिंह सहित उनके 10-12 अज्ञात सहयोगियों के विरुद्ध सीतारामडेरा थाना कांड संख्या 34/21 दिनांक 11 मार्च 2021 धारा 212/419/120 बी/ 34 भा0 द0 वि0 अंकित किया गया । इस घटना से अभियोजन और criminal justice की अवधारणा पर बड़ी बहस हो सकती है। हत्या मामले में फरार अभियुक्त जिसका आपराधिक इतिहास हो उसे अदालत में हाज़िर कराने और आश्चर्यजनक ढंग से बयान दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं। इसी अदालत परिसर में पहले हत्या हो गयी थी और अब फरार अभियुक्त उसी परिसर में आकर बयान दर्ज कराने में कामयाब हो जाता है। क्या क्रिमिनल जस्टिस में विद्वत अधिवक्ता समाज,न्यायालय अधिकारी , खुफिया तंत्र और अभियोजन तथा सिविल सोसाइटी को एक बार न्याय तंत्र को प्रभावशाली और असरदार बनाने और इसका मखौल उड़ाने वालों को एक्सपोज़ कर उन्हें दंडित कराने के लिए आगे नही आना चाहिए।