चतरा ,19 फरवरी (ईएमएस): झारखंड का बोलना ही संगीत और चलना ही नृत्य है। झारखंड की धरा में सिर्फ खनिज ही नहीं, बल्कि यह धर्म स्थली के रूप में भी जाना जाता है। यहां के धार्मिक स्थलों में इतिहास की कई कहानियां छिपी हैं। झारखंड की परंपरागत व्यवस्थाओं, सांस्कृतिक विरासत के साथ अलग पहचान है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री बुधवार को चतरा के ईटखोरी स्थित मां भद्रकाली मंदिर परिसर में आयोजित राजकीय ईटखोरी महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
यह सौभाग्य है मैं पुन: यहां आया: सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही मां भद्रकाली के दर्शन का अवसर मिला था। मां ने फिर से मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर दिया है। यह मेरा सौभाग्य है। चतरा में स्थित मां कौलेश्वरी मंदिर के विकास को लेकर सरकार कार्य करेगी। सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में झारखंड धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाए। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा अपनी परंपराओं के साथ नित्य आगे बढ़े।
चतरा के विकास को प्राथमिकता मिले: सत्यानंद भोक्ता
मंत्री श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि बुधवार से महोत्सव का शुभारंभ हो रहा है, ये हर्ष का विषय है। चतरा स्थित तमसीन में भी इस तरह के समागम का आयोजन होना चाहिए। जहां बिहार और झारखंड के लोग जुटते हैं। चतरा पिछड़ा जिला है। राज्य सरकार चतरा के विकास को प्राथमिकता दे।
पदमश्री मधु मंसूरी हंसमुख गीत प्रस्तुत किया
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ईटखोरी की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली पुस्तक का विमोचन, शिक्षाविद विद्यानंद झा, पदमश्री मधु मंसूरी हंसमुख को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री को डीसी चतरा ने स्मृति चिन्ह और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। पदमश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने उद्घाटन कार्यक्रम में ‘झारखंड की धरती से निकली है आवाज…परसाथनाथ की चोटी से उठी है आवाज’ गीत प्रस्तुत किया.