बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस ने चला दलित कार्ड! अखिलेश सिंह को हटा राजेश कुमार को बनाया प्रदेश अध्यक्ष

बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा अखिलेश प्रसाद सिंह की मंगलवार को विदाई कर दी। अब राज्य में प्रदेश की कमान विधायक राजेश कुमार को सौंपी गयी है। विधानसभा चुनाव को लेकर एआइसीसी द्वारा इस आशय की अधिसूचना महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी कर दी गयी है। राजेश कुमार कुटुंबा (सुरक्षित) सीट से विधायक हैं

आपको बता दें कृष्णा अल्लावरू के बिहार कांग्रेस प्रभारी बनने के बाद अखिलेश सिंह के हटाए जाने की अटकलें तेज थीं। पिछले दिनों कन्हैया कुमार की यात्रा की घोषणा पर भी अखिलेश की नाराजगी के कयास लगाए जा रहे थे। 12 मार्च को दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक होने वाली थी, बताया जा रहा है कि पार्टी में खींचतान की वजह से ही उस बैठक को स्थगित कर दिया गया था। हालांकि, चार दिन पहले अखिलेश सिंह ने सोशल मीडिया पर पप्पू यादव के साथ वीडियो शेयर कर कहा था कि उनकी कन्हैया कुमार या किसी से भी कोई नाराजगी नहीं है।

राजेश कुमार औरंगाबाद जिले की एससी आरक्षित कुटुम्बा विधानसभा सीट से विधायक हैं । 2015 में पहली बार कांग्रेस के टिकट से विधायक बने। 2020 में भी उन्होने अपनी सीट बरकरार रखी। उन्होंने 50,822 वोट हासिल किए थे। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के श्रवण भुइयां को 16,653 मतों के अंतर से हराया था।
राजेश राम की चर्चा लंबे समय से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में हो रही थी और वह पार्टी के प्रमुख अनुसूचित जाति चेहरे हैं। वह कांग्रेस की अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इस प्रकार उन्हें विधान मंडलों का और संगठन का भी लंबा अनुभव हासिल है। उन्हें अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने अनुसूचित जाति जनजाति के बड़े वोट बैंक को भी अपने साथ लाने की कोशिश की है जो 80 के दशक तक उसका परंपरागत वोट बैंक था। इसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है तथा हाल की कांग्रेस की बढ़ी हुई सक्रियता के क्रम में भी इसे देखा जा रहा है।

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