जानिए कौन हैं स्वामी कैलाशानंद गिरी? जिन्हें स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल ने बनाया आध्यात्मिक गुरु

किरन कांत शर्मा, देहरादून: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ का आगाज हो गया है. यह सनातन धर्म की समृद्ध संस्कृति का विशाल और भव्य उत्सव है, जिसके तहत देश और दुनिया के करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं. इस बार यह महाकुंभ यूपी के प्रयागराज में हो रहा है. जिसमें हिस्सा लेने के लिए प्रसिद्ध अमेरिकी कारोबारी और एप्पल के सह-संस्थापक रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी पहुंचीं हुई हैं, जिसकी चर्चाएं चारों ओर हो रही है. लॉरेन ने प्रयागराज कुंभ में न केवल आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी को अपना गुरु बनाया है, बल्कि कल्पवास कर सनातन के प्रति अपनी आस्था को भी जताया है.

चर्चाओं में आए स्वामी कैलाशानंद गिरी: दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में आकर न केवल अपने परिवार बल्कि, उनके जैसे अन्य लोगों को भी ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार ऐसा सनातन धर्म में है क्या? जिसके प्रति वो आकर्षित हुई हैं. निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने उन्हें नया नाम ‘कमला’ दिया है. साथ ही अपना गोत्र देकर एक नई दिशा दिखाई है. अब लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिरकार स्वामी कैलाशानंद गिरी कौन हैं? जिनके प्रभाव में आकर लॉरेन पॉवेल जॉब्स से कमला बन गईं.

अखाड़े में किस पद पर हैं कैलाशानंद गिरी? स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज इस वक्त निरंजनी अखाड़े के सबसे बड़े या यूं कहें कि सर्वोच्च पद पर आसीन हैं. वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और निरंजन पीठाधीश्वर हैं. धर्म के जानकार प्रतीक मिश्र पुरी कहते हैं जिस तरह से किसी भी देश में प्रधानमंत्री के ऊपर राष्ट्रपति होता है, उसी तरह से संतों में भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्ष एक उपाधि होती है. मौजूदा समय में शंकराचार्य सर्वोच्च पद पर आसीन हैं. इन्हें संतों का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है.

आज लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर श्री निरञ्जन पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज से शिष्टाचार भेंट हुई।

शंकराचार्य के बाद सभी 13 अखाड़ों के अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं. जूना अखाड़े के मौजूदा समय में अवधेशानंद गिरी आचार्य महामंडलेश्वर हैं. जिनका देश और दुनिया में अपना मुकाम है. इसी तरह से निरंजनी अखाड़े के आचार्य अभी महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि हैं. कैलाशानंद साल 2021 में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बने. इससे पहले वे अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर भी कुछ समय तक रह चुके हैं. उससे पहले वे महामंडलेश्वर के पद पर आसीन थे.

कहां जन्मे कैलाशानंद गिरि? स्वामी कैलाशानंद गिरि का जन्म एक जनवरी 1976 को बिहार के जमुई में हुआ था. मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले कैलाशानंद गिरि ने बचपन में ही अपना घर बार छोड़ दिया था. वे भगवान की भक्ति में इस कदर रम गए कि फिर कभी परिवार की तरफ देखा ही नहीं. जूना अखाड़ा से जुड़े संत हठ योगी कहते हैं कि वैसे एक संत के लिए कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति जब संत या अखाड़े के साथ जुड़ता है तो वो अपना पिंडदान कर देता है यानी साधु संत बनने के बाद वो परिवार की मोह माया से ऊपर हो जाता है.

आज दिल्ली में पूज्य गुरुजी “निरंजन पीठाधीश्वर” आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज नें रक्षा मंत्री @rajnathsingh जी से भेंट कर आशीर्वाद दिया व मा॰मंत्री जी नें भी पूज्य गुरुजी का अभिनंदन किया।।

वेद, पाठ, पुराणों के ज्ञान में होना पड़ता है निपुण: संत या साधु बनने के बाद वो सिर्फ समाज, देश और भगवान की भक्ति के लिए जीता है. आचार्य महामंडलेश्वर बनने के लिए वेद, पाठ, पुराणों का ज्ञान सभी में निपुण होना पड़ता है. कठिन परीक्षा और परिश्रम के बाद ही शंकराचार्य और आचार्य महामंडलेश्वर जैसी उपाधियों पर बैठा जा सकता है.

कठिन साधना से प्रभावित हैं लोग: मौजूदा समय में कैलाशानंद गिरि हरिद्वार के चंडी घाट स्थित काली मंदिर के प्रमुख हैं. दक्षिण काली मंदिर नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक स्थल लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद को प्रसिद्धि ऐसे ही हासिल नहीं हुई, बल्कि उनकी ओर किए गए तप, साधना और समर्पण को लोगों ने बेहद करीब से देखा है.

सावन और नवरात्रों के दिनों में स्वामी कैलाशानंद गिरी पूरे महीने विशेष पूजा अर्चना करते हैं, जिसमें लगभग एक ही आसन में बैठकर वे 22 से 24 घंटे तक कठिन तप करते हैं. सावन के महीने में भगवान शिव का विशेष रूप से अभिषेक देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. स्वामी कैलाशानंद गिरि की बात करने का अंदाज हो या मिलने का, वो उन्हें विशेष बनाता है. आध्यात्मिक रूप से हर मुद्दे पर उनकी बेबाक पकड़ लोगों को उनसे जोड़ती है. फिलहाल, उनके पास यूपी और उत्तराखंड सरकार की ओर से सुरक्षा दी गई है

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