Jamshedpur महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में जहां मुफ्त ऑफर दिए जाने की होड़ राजनीतिक दलों के बीचट मची हुई है, वही वरिष्ठ नागरिकों का दर्द इस मौके पर उभर कर सामने आ रहा है। वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि एक और जहां राजनीतिक दल सत्ताधारी पार्टियां लोगों पर पैसे लुटा आ रही है लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाएं बंद कर दी गई हैं या उनमें कटौती हो रही है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि कोरोना कल के समय से रेल यात्रा के दौरान उन्हें दी जाने वाले रियायत बंद कर दी गई है ।जब कभी उनकी ओर से यह मांग की जाती है तो सरकार की ओर से कहा जाता है कि पहले से ही किराया में सब्सिडी दी जा रही है ।इसी तरह वृद्धा पेंशन और ईपीएफओ पेंशन को लेकर भी सालों साल से वरिष्ठ नागरिक आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहं। दूसरी ओर राजनीतिक दल बिन मांगे ऑफरों की बरसात लोगों पर किए चल रहे हैं। यह बात वरिष्ठ नागरिकों को अधिक कष्ट प्रदान कर रही है और उनका मानना है कि राजनीतिक दलों ने उन्हें हासिये पर ला दिया है। इस संबंध में एक वरिष्ठ नागरिक ने अपना दर्द बयां करते प्रधानमंत्री और केंद्रीय श्रम मंत्री से अनुरोध किया है कि वरिष्ठ नागरिकों की दयनीय हालत को देखते हुए उनकी पेंशन में बढ़ोतरी की जाए। आज भी ईपीएफओ के तहत न्यूनतम 1000 रु का ही पेंशन मिल रहा है इसे बढ़ाकर 75000 करने की मांग कई सालों से की जा रही है। करीब तीन दशक तक देश के विकास में अपनी भूमिका निभाने वाले इन वरीय नागरिकों की सुध सरकारें और राजनीतिक दल क्यों नहीं ले रहे, यह बात उनकी समझ से परे है। सरकार की ओर से भरोसा तो दिलाया जाता है लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा रहा वहीं दूसरी ओर सरकारी के नाम पर सरकार का तिजोरी खोल रही है। झारखंड और महाराष्ट्र में महिला सम्मान के नाम पर पैसों की बरसात की जा रही है।कई अन्य बड़ी बड़ी ऐसी ही घोषणाएं हो रही हैं।
सिंदरी, धनबाद के वरीय नागरिकों के संगठन की ओर से इस वाबत लगातार मांग की जाती रही है। देश के अन्य हिस्सों से भी इस तरह की मांगें वरीय नागरिकों की ओर से की जाती रही है। जमशेदपुर में भी वरीय नागरिक संघ ने इपीएफओ पेंशन राशि साढे सात हजार रुपये करने और रेल किराया में रियायत दिये जाने की मांग की है।