सांसद ढुल्लु महतो भाजपा के लिए भष्मासुर न बनें

सांसद ढुल्लु महतो भाजपा के लिए भष्मासुर न बने. सरयू राय का ” राजनीतिक वध ” करने जैसे शब्द का प्रयोग कर भले ही वह अपनी राजनीतिक समझ को जाहिर कर रहे,लेकिन जमशेदपुर के औद्योगिक स्वरुप और संस्कृति वाले शहर जहाँ जात पात की कभी बात नहीं उठी, ओ बी सी समाज को कथित रूप से एकजुट करने की बात कह कर वे काठ के घोड़े पर सवारी कर मनोरंजन करने वाले लखनवी… जैसी पहचान भी दे गए. उन्हें धनबाद में धन बल और दर्जनों मुकदमों से लदे होकर जो पहचान बनी है वह भले उन्हें गौरवांवित कर रहा हो और भाजपा ने उन्हें गले लगा कर एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा दिया हो, लेकिन जमशेदपुर की जनता उनकी भाषा और विचार को स्वीकार नहीं कर सकती. क्योंकि जमशेदपुर के सिर्फ ओ बी सी मतदाता के बल पर ही भाजपा कभी नहीं जीती. भाजपा और सरयू राय में कभी भेद नहीं था. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी कभी उनके लिए वोट मांगने आ चुके हैं. असली मतभेद रघुवर दास और सरयू राय का था जिसका दुष्परिणाम भाजपा ने झारखण्ड में भुगता.जमशेदपुर ही नहीं, देश में प्रायः हर जगह भाजपा के सिर्फ ओ बी सी ही वोटर नहीं हैं. जमशेदपुर की बात की जाय तो सब जानते हैं यहाँ जात पात पर कभी वोटिंग नहीं हुई. भाजपा के समर्थक सभी जातियों में हैं.सवर्णों का बड़ा तबका भाजपा को साथ देता है.आज महानगर जिला अध्यक्ष ब्राह्मण हैं. कायस्थ और क्षत्रिय भी रहे. भाजपा के बड़े नेता और महामहिम के प्रिय लोगों में राम बाबू तिवारी ब्राह्मण ही हैं. अनेक भूमिहार उनके विश्वास पात्र हैं. आशय है कि सांसद ढुल्लु महतो ओ बी सी की बात करके बताना क्या चाहते थे? क्या वे यह बताना चाहते थे कि जमशेदपुर ओ बी सी सीट है और भाजपा ओ बी सी पार्टी है ? यह अगर सच होता तब पिछले चुनाव में रघुवर दास चुनाव नहीं हारते. सरयू राय की जीत उनकी जीत नहीं थी, अपितु रघुवर दास के नव रत्नो के आतंक और अहंकार की हार थी. सरयू राय से उनके मतभेद और विरोध हैं, यह प्रायः सभी जानते हैं और उसको जाहिर करने का सांसद को हक है, लेकिन जातीय आधार पर सरयू राय के बहाने जाति का विष वमन कर उन्होंने जो राजनीति खेलना चाहा वह भाजपा में सवर्णो को चिढ़ाने ही नहीं आतंक फैलाने जैसा है. उनके साथ प्रेस वार्ता में बैठे स्थानीय भाजपा नेतागण भी शायद ही इस बात के लिए उनकी पीठ थपथपायें. जमशेदपुर के लोगों के बीच जातीय आधार पर उन्होंने लाइन खींचने का जो काम किया है वह भाजपा के लिए ही नहीं शहर के सौहाद्र के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है. सांसद को अपने आतंक से जो पहचान मिल रही हो और भाजपा द्वारा गले लगाने से भले उसको झारखण्ड में एक सीट का इजाफा मिल गया हो, लेकिन ढुल्लु महतो को नहीं भूलना चाहिए कि धनबाद में स्व सूर्यदेव सिंह भी कभी तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेहद प्रिय थे और उन्होंने बी पी सिंहा की हत्या करा कर जो जाति विद्वेष पैदा किया वह टिकाऊ नहीं रहा और स्व सूर्यदेव सिंह की पोषक जनता पार्टी का किस कदर क्षय हुआ, उसे पूरे देश ने देखा. आज सूर्य देव सिंह की जगह अगर ढुल्लु महतो लेना चाहते हों तब उन्हें धनबाद का इतिहास नहीं भूलना चाहिए. स्व राजू यादव का अंत उन्हें नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने लालू यादव के पीठ ठोकने पर धनबाद में बैक वार्ड -बैक वार्ड खेल शुरू करने की चेष्टा की थी.

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