जमशेदपुर, 28 सितंबर (रिपोर्टर) : विधानसभा चुनाव को लेकर जमशेदपुर पश्चिम सीट पर राजनीति गरमाई हुई है. मंत्री बन्ना गुप्ता पिछले करीब दो दशकों से इस विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में अपना प्रभाव बनाये हुए हैं. करीब 40 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी का इस विधानसभा क्षेत्र में जनाधार काफी बढ़ा है और यही वजह है कि जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी दोनों विधानसभा सीटों पर भाजपा का खासा प्रभाव देखा जाता है. इस बार के चुनाव में भी मुख्य मुकाबला वर्तमान विधायक बन्ना गुप्ता (कांग्रेस) और भाजपा के बीच ही देखने को मिलनेवाला है. लगभग तय है कि बन्ना गुप्ता ही कांग्रेस के कोटे से एकबार फिर प्रत्याशी होंगे. वे साल 2000 से इस विधानसभा क्षेत्र में लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं. दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर (2000 और 2005 में) चुनाव लड़ा. 2009 में पहली बार वे कांग्रेस के टिकट पर लड़े और विधायक चुने गये. भाजपा के टिकट पर मृगेन्द्र प्रताप सिंह तीन बार (1985, 1995 और 2000) तथा सरयू राय (2005 और 2014) विधायक चुने गये.
वैसे साल 1967 में अस्तित्व में आये जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर भाजपा पांच बार और कांग्रेस चार बार अपना कब्जा जमा चुकी है. बन्ना गुप्ता के अलावा 1967 में छोटेलाल व्यास और 1980 में शमसुद्दीन खान कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक चुने गये थे. 1969 और 1972 में सुनील मुखर्जी और राम अवतार सिंह भाकपा के टिकट पर यहां से जीते थे, जबकि वर्ष 1990 में एकमात्र बार झामुमो का यहां कब्जा रहा. उसबार हसन रिजवी मृगेन्द्र प्रताप सिंह को हराकर जीते थे. 1980 से 2000 तक मृगेन्द्र प्रताप सिंह यहां भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे और तीन बार जीते भी.
जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीटों का राजनीतिक समीकरण बिल्कुल उलट है. जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट में मुस्लिम मतदाता खासा प्रभाव रखते हैं. मानगो क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाकों में भाजपा के लिये पैर जमाना लगभग नामुमकिन सा लगता है. इस वजह से कई बार विपक्षी उम्मीदवार का काम भी आसान हो जाता है. बन्ना गुप्ता को इसका जबर्दस्त फायदा मिलता रहा है. लंबे समय तक मृगेन्द्र प्रताप सिंह और सरयू राय जैसे हेवी वैट उम्मीदवारों की वजह से भाजपा की ओर से कोई अन्य दावेदार सामने नहीं आता था, मगर इसबार स्थितियां पूरी तरह से बदली हुई है. 2019 में भाजपा ने अंतिम समय में सरयू राय के स्थान पर देवेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था. इस वजह से उस साल भी कोई अन्य दावेदार सामने नहीं आया था. लेकिन इस साल भाजपा के उम्मीदवारों को खुला मैदान मिला हुआ है और यही वजह से दावेदारों की लंबी चौड़ी सूची सामने आ रही है. इनमें नीरज सिंह, विकास सिंह, बिनोद सिंह, अजय श्रीवास्तव, जटाशंकर पांडेय, राजकुमार श्रीवास्तव, अभय सिंह उज्जैन, राजीव रंजन सिंह, विजय सिंह, देवेन्द्र सिंह के अलावा जमशेदपुर पूर्वी सीट से दावा करनेवावाले कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी नजर जमशेदपुर पश्चिम सीट पर है. संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर महीने के प्रथम सप्ताह में भाजपा की पहली सूची सामने आएगी. हालांकि यह कयास लगाये जा रहे हैं कि इसमें आदिवासी बहुल इलाकों में ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जाएगी. इसलिये जमशेदपुर के भाजपाई दावेदारों को अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा.
जमशेदपुर विधानसभा सीट का इतिहास
1967 के पूर्व जमशेदपुर विधानसभा सीट थी. 1967 में जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी सीट अस्तित्व में आई. 1952 में यहां से शिवचंद्रिका प्रसाद कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. 1957 में केदार दास और 1962 में राम अवतार सिंह (दोनों सीपीआई) जमशेदपुर विधानसभा सीट के विधायक बने.
वर्ष 2019 के विधानसभा परिणाम
वर्ष 2019 के चुनाव में बन्ना गुप्ता को 96,778 (50.28 प्रति.) वोट मिले थे, जबकि देवेन्द्र सिंह को 74,195 (38.55 प्रति.) वोट मिले. बन्ना गुप्ता ने यह चुनाव 22,583 मतों से जीता था. 2014 में सरयू राय (95,346 मत) ने बन्ना गुप्ता (84,829 मत) को 10,517 मतों से हराया था. वर्ष 2009 में बन्ना गुप्ता 3297 मतों से सरयू राय को हराकर जीते थे, जबकि 2005 में सरयू राय ने बन्ना गुप्ता को 12,695 मतों से हराया था. 2005 का चुनाव त्रिकोणीय था, इसमें सरयू राय को 47,428 मत, बन्ना गुप्ता (सपा) को 34,733 और हिदायतुल्लाह खान (लोजपा) को 34,124 वोट मिले थे. कांग्रेस की आयशा अहमद को 19,269 मत प्राप्त हुए थे.