धनबाद में इनदिनों पुलिस महकमे में खूब असमय तबादले हो रहे हैं।किसी भी थानेदार का कार्यकाल अमूमन दो वर्षों का होता है। इससे पहले अपरिहार्य कारण से तबादला करने की परिस्थिति में डीआईजी से अनुमति लेनी पड़ती है।अच्छी ट्यूनिग की वजह से डीआईजी बिना किसी क्वेरी के ओके कर देते हैं। धनबाद में अभी हाल ही में दो तीन थानेदारों को अकारण बाएं से दाएं किया गया है। मामला पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और महामंत्री अक्षयवर राम तक जा पहुंचा। लेकिन सत्ता के ताना बाना और समीश्रण के आगे वे भी लाचार हो गए। सबसे चर्चित तबादला बड़े साहब के दुलरुवा गोविंदपुर के प्रभारी इंस्पेक्टर रविकांत प्रसाद का है।लोकसभा चुनाव के पूर्व रिसफ्लिंग में साहब का तबादला धनबाद जिला बल में हुआ। साहब ने जुगत और काबिलियत दिखाकर बड़े साहब से अपनी पोस्टिंग गोविंदपुर जैसे ग्रेड 2 थाने में करा ली।मलाई खाओ और खिलाओ पर रविकांत फिट बैठ गए। लेकिन महज सात महिने में ओरियो सिल्क से सीधे लेमन चूस पर उतरना होगा,उन्हें नहीं पता था। साहब ये झारखंड है और यहां की वर्तमान सत्ता में अल्प संख्यक दामाद होते हैं। पांच छः महीने विशेष शाखा में रहकर इंस्पेक्टर रुस्तम ने अपना तबादला इरफान और हफीजूल की ताकत पर धनबाद करवा लिया। 19 सितंबर को धनबाद आने के साथ उनकी पोस्टिंग निरसा अंचल में हो गई। निरसा अंचल रास नहीं आया तो आका से कहा कि कहां फंसा दिए।फोन सीएम हाउस तक चला गया। वहां से बड़े साहब के फोन की घंटी बजी, कहा गया इशारे में बात समझिए।आगे ऐसा हुआ कि यार ने ही लूट लिया घर यार का। दोनों 94 बैच के हैं।रविकांत को साहब का प्यार ज्यादा प्यारा था, सो झट पारिवारिक कारण बता हल्का काम का बहाना बना दिया। सूत्र बताते हैं कि पिछले 5 सितंबर को 94 बैच के बहाल दरोगाओं की धनबाद के एक होटल में पार्टी थी,उसमें तो सारे लोग सकुशल परिवार के साथ इंजॉय कर रहे थे। फिर किसी की पत्नी के बीमार होने की बात कहां थी। ये तो बहाना है, इंस्पेक्टर साहब की मजबूरी थी,लिहाजा जो कहा मान लिया। वैसे ही राजगंज के थानेदार धर्मराज युधिष्ठिर तपन पानीग्राही को असमय नाप दिया गया।क्या मजाक है जयप्रकाश को मधुवन में दोषी ठहरा कर दो माह के भीतर बरोरा का राज दे दिया गया।पैसों के बूते पोस्टिंग होने पर क्राइम रुकेगा? लूट की छूट का राज चल रहा है साहब और कहते हैं हम दूध के धुले गंगाजल सा पवित्र हैं। ये पब्लिक है,सब समझ रही है।