स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जहां विकसित भारत के संकल्प, बीजेपी सरकार के काम और अन्य चीजों पर बात की तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा पर बात करते हुए महिलाओं और बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर दुख व्यक्त किया।
पीएम मोदी ने कहा, “हमें गंभीरता से सोचना चाहिए. महिलाओं, बेटियों के प्रति अत्याचार हो रहे हैं. उसके प्रति आक्रोश है समाज में. इसे लेकर हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा. राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द सजा हो, जो समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है. अपराधियों में डर जरूरी है. सजा पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए.”
अपराधियों में डर पैदा करने पर
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ चिंता की बातें भी हैं. मैं यहां से अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं. एक समाज के नाते हमें ये सोचना होगा कि हमारी माता, बहनों और बेटियों के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं. उसके प्रति लोगों में आक्रोश है. राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो, राक्षसी काम करने वाले लोगों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो. समाज में विश्वास पैदा करने के लिए ये जरूरी है. महिलाओं पर अत्याचार की जब घटनाएं होती हैं तो उसकी बहुत ज्यादा चर्चा होती है. मगर जब ऐसा करने वाले राक्षसी व्यक्ति को सजा होती है तो इसकी खबर कोने में नजर आती है. इस पर चर्चा नहीं होती है. अब समय की मांग है कि ऐसा करने वाले दोषियों की भी व्यापक चर्चा हो ताकि ऐसा पाप करने वालों को भी डर हो कि उन्हें फांसी पर लटकना पड़ेगा. मुझे लगता है कि ये डर पैदा करना जरूरी है.
‘ईज ऑफ लिविंग के लिए उठाने चाहिए कदम’
पीएम ने अपने कार्यकाल में कानून में किए गए बदलावों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सदियों से हमारे पास जो क्रिमिनल लॉल थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं. इसके मूल में ‘दंड नहीं, नागरिक को न्याय’ के भाव को हमने प्रबल बनाया है. मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ईज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाने चाहिए.