लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने पर कई विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाया, इसलिए संशोधन की योजना बनाई गई।
विपक्ष की भारी आपत्ति के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया। बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की अनुशंसा की गई। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’’ रिजिजू ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना नहीं है और संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में वक्फ संसोधन बिल 2024 पेश किया। जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता के वेणुगोपाल ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ है। वक्फ काउंसिल को कहां से संपत्ति आती है, जो अल्लाह को मानते हैं। मैं सरकार से सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या कोई सोच सकता है कि क्या अयोध्या में कोई नॉन हिंदू में शामिल हो सकता है।
ये बिल धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला- कांग्रेस
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि देवस्थान बोर्ड में क्या कोई नॉन हिंदू शामिल हो सकता है। ये बिल सीधा-सीधा धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला। ये मूलभूत अधिकारों पर हमला है। हम भारत की संस्कृति और धर्म को मानते हैं। हम हिंदू हैं। लेकिन उसी समय हम दूसरे धर्म को भी मानते हैं। यही बेसिक सिद्धांत है। ये बिल आप केवल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव के लिए लाए हैं। पिछली बार देश की जनता ने आपको सबक सिखाया था। ये संघीय व्यवस्था पर हमला है। वक्फ संपत्ति पर अलग-अलग संस्थाओं के जरिए चलाया जाता है।
लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने पर कई विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाया, इसलिए संशोधन की योजना बनाई गई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि, तेदेपा ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की। विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए।’’ रीजीजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का उल्लेख किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया।
विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।